राग भैरव " भैरव " थाट का एक राग है, यह आश्रय राग है। इसे संधि प्रकाश राग भी कहते हैं, क्योंकि इस राग का गायन समय सुबह 4:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक है, इस राग में (रे्) और (ध्) पर आंदोलन किया जाता है, राग भैरव की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:- राग - भैरव थाट - भैरव थाट के स्वर - सा रे् ग म प ध् नी सां {{ (रे्) और (ध्) कोमल बाकी सभी स्वर शुद्ध )"}}} जाति - सम्पूर्ण - सम्पूर्ण (7-7) वादी स्वर - धैवत ( ध् ) सम्वादी स्वर - रिषभ ( रे् ) आरोह - सा रे् ग म प ध् नी सां अवरोह - सां नी ध् प म ग रे् सा पकड़ - ग म ध् ध्ऽ प, ग म रे् रे्ऽ सा न्यास के स्वर - सा रे् प और ध् मुख्य अंग - रे् रे्ऽ सा, ध् ध्ऽ प, ग म ध् प गायन समय - प्रातः काल 4am-7 am (संधि प्रकाश राग) राग की प्रकृति - भक्ति रस युक्त गम्भीर सम प्रकृति - राग कालिंगडा, रामकली अन्य महत्वपूर्ण बातें (1) इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है। (2) इस राग में (रे्) और (ध्) पर आन्दोलन किया जाता है। (3) राग का गायन समय सुबह 4 से 7 Am तक है, अतः इसे संधि प्र
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