यह बंदिश , राग यमन और तीनताल मध्य लय में है, इस
बंदिश का सम " राम के (रा) " पर आता है, बंदिश का शुरुआत
9वीं मात्रा से शुरू किया गया है। जैसे:-
तीन ताल- 16 मात्रा, 4 विभाग, (1),(5),(13) पर ताली,
(16) पर खाली।
धा धिं धिं धा । धा धिं धिं धा । धा तिं तिं ता । ता धिं धिं धा
1 2 3 4 । 5 6 7 8 । 9 10 11 12 । 13 14 15 16
राग - यमन बंदिश, ( तीन ताल ) मध्य लय
( 9वीं मात्रा से शुरू, और ( रा ) पर सम )
।। स्थायी ।।
-- -- -- -- । -- -- -- -- । सु मि र न । की ऽ जे ऽ
-- -- -- -- । -- -- -- -- । सां नी ध प । म' प ग म'
रा ऽ म ना । ऽ म को ऽ । औ ऽ र न । ही ऽ ज ग
प प रे ग । नी रे सा सा । ग ग ग रे । ग म' प प
को ऽ ई का । ऽ म को ऽ । -- -- -- -- । -- -- -- --
ग म' ग रे । नी़ रे सा सा । -- -- -- -- । -- -- -- --
।। अंतरा ।।
-- -- -- -- । -- -- -- -- । जो ऽ इ ऽ । च्छा ऽ चा ऽ
-- -- -- -- । -- -- -- -- । प प ग ग । प प ध प
हे ऽ म न । पू ऽ र न । सु ऽ र दा । ऽ स भ जो
सां सां सां सां । नी रें सां सां । सां नी ध प । म' प ग म'
रा ऽ धे श्या । ऽ म को ऽ । -- -- -- -- । -- -- -- -- ।
प प रे ग । नी़ रे सा सा । -- -- -- -- । -- -- -- -- ।
।। तिहाई 9वीं मात्रा से ।।
-- -- -- -- । -- -- -- -- ।सुमि रन कीऽ जेऽ ।राम जय राम जय
-- -- -- -- । -- -- -- -- ।सांनी धप म'प गम'। प- ग'म प- गम'
रा ऽ म ना । ऽ म को ऽ । सु मि र न । की ऽ जे ऽ
प प रे ग । नी रे सा सा । सां नी ध प । म' प ग म'
राम नाऽ म कोऽ । सुमि रन कीऽ जेऽ । सुमि रन कीऽ जेऽ ।
सुमि रन कीऽ जेऽ
परे गऩी रे सासा । सांनी धप म'प गम' । सांनी धप म'प गम'
सांनी धप' म'प गम'
रा ऽ म ना । ऽ म को ऽ । -- -- -- -- । -- -- -- -- ।
प प रे ग । नी रे सा सा । -- -- -- -- । -- -- -- -- ।
(सुमि रन कीऽ जय राम जय राम जय रा ऽ म ना ऽ म को ऽ
सांनी धप म'प गम' प- ग'म प- गम' प प रे ग नी रे सा सा)
(सु मि र न की ऽ जे ऽ राम नाऽ म कोऽ सुमि रन कीऽ जेऽ
सां नी ध प म' प ग म' परे गऩी रे सासा सांनी धप म'प गम'
सुमि रन कीऽ जेऽ सुमि रन कीऽ जेऽ रा ऽ म ना ऽ म को ऽ
सांनी धप म'प गम' सांनी धप म'प गम' प प रे ग नी़ रे सा सा
।। सरगम तान ।। 8-8 मात्रा
( साग रेग ) * 3 ऩीरे सासा । ( गम' पम' )* 3 गरे सासा
( गऩी धप )* 3 प- प- । ( रेग म'ग )* 3 रे- सा-
।। अंतरा तान ।। 16 मात्रा
पनी धरें सां- सां-।सांरें नीरें ध- ध-(सानीध सानीध प- ग-)* 2
।। स्थायी ।।
सुमिरन कीऽजेऽ राऽम नाऽम कोऽ
औऽर नही ऽ जग कोऽई काऽम कोऽ
।। अंतरा ।।
जोऽ इऽच्छाऽ चा ऽहेऽ मन पू ऽर न
सुऽरदाऽस भजो राऽधे श्याऽम कोऽ
।। स्थायी ।।
। सुमिरन कीजे राम नाम को ।।
। और नहीं जग कोई काम को ।।
।। अंतरा ।।
। जो इच्छा चाहे, है मन पूरन ।।
। सूरदास भजो राधे श्याम को ।।
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