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Showing posts from December, 2020

Raag Bhairav ( राग भैरव )

राग भैरव " भैरव " थाट का एक राग है, यह आश्रय राग है। इसे संधि प्रकाश राग भी कहते हैं, क्योंकि इस राग का गायन समय सुबह 4:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक है, इस राग में (रे्) और (ध्) पर आंदोलन किया जाता है, राग भैरव की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-     राग - भैरव                               थाट - भैरव थाट के स्वर - सा रे् ग म प ध् नी सां  {{ (रे्) और (ध्) कोमल बाकी सभी स्वर शुद्ध )"}}} जाति - सम्पूर्ण - सम्पूर्ण (7-7) वादी स्वर - धैवत ( ध् )             सम्वादी स्वर - रिषभ ( रे् ) आरोह - सा रे् ग म प ध् नी सां अवरोह - सां नी ध् प म ग रे् सा पकड़ - ग म ध् ध्ऽ प, ग म रे् रे्ऽ सा न्यास के स्वर - सा रे् प और ध् मुख्य अंग - रे् रे्ऽ सा, ध् ध्ऽ प, ग म ध् प गायन समय - प्रातः काल 4am-7 am (संधि प्रकाश राग) राग की प्रकृति - भक्ति रस युक्त गम्भीर सम प्रकृति - राग कालिंगडा, रामकली                 अन्य महत्वपूर्ण बातें (1) इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है। (2) इस राग में (रे्) और (ध्) पर आन्दोलन किया जाता है। (3) राग का गायन समय सुबह 4 से 7 Am तक है, अतः इसे  संधि प्र

he ram jag me sacho Hey Ram Jag mein sacho tero Naam lyrics हे राम जग में साचो तेरो नाम लिरिक्स

हे राम, हे राम जग में साचो तेरो नाम Song - हे राम , Singer - जगजीत सिंह  ------------------------------------------------ ।।   स्थायी   ।। हे राम, हे राम जग में साचो तेरो नाम हे राम, हे राम ।।  अन्तरा  ।। 1) (तू ही माता, तू ही पिता है)2  तू ही तो है, राधा का श्याम   --हे राम, हे राम 2) (तू अंतर्यामी, सबका स्वामी)2 तेरे चरणों में, चारो धाम --हे राम, हे राम 3) (तू ही बिगड़े, तू ही सवारे)2  इस जग के, सारे काम --हे राम, हे राम 4) (तू ही जगदाता, विश्वविधता)2 तू ही सुबह, तू ही शाम --हे राम, हे राम --हे राम, हे राम जग में साचो तेरो नाम  हे राम, हे राम Home 🏠 Sangeet Raag Shashtra    (🎶यहां क्लिक करें ⬇️⬇️ 🎶

Raag Yaman - Sumiran Kije Ram Nam ko

यह बंदिश , राग यमन और तीनताल मध्य लय में है, इस  बंदिश का सम " राम के (रा) " पर आता है, बंदिश का शुरुआत 9वीं मात्रा से शुरू किया गया है। जैसे:-    तीन ताल- 16 मात्रा, 4 विभाग, (1),(5),(13) पर ताली,      (16) पर खाली।                    धा धिं धिं धा ।  धा धिं धिं धा ।  धा तिं तिं ता ।  ता धिं धिं धा 1 2 3 4 । 5 6 7 8 ।  9 10 11 12 । 13 14 15 16        राग - यमन बंदिश, ( तीन ताल ) मध्य लय            ( 9वीं मात्रा से शुरू, और ( रा ) पर सम )                                          ।। स्थायी ।।             -- -- -- --   । -- -- -- --   ।    सु मि र न । की ऽ जे ऽ  -- -- -- --  । -- -- -- --  ।  सां नी ध प ।  म' प ग म'                    रा ऽ म ना ।  ऽ म को ऽ ।  औ ऽ र न । ही ऽ ज ग प प रे ग । नी रे सा सा । ग ग ग रे ।  ग म' प प                    को ऽ ई का ।  ऽ म को ऽ । -- -- -- --  ।  -- -- -- -- ग म' ग रे ।  नी़ रे सा सा  ।  -- -- -- --  । -- -- -- --                           ।। अंतरा ।।           -- -- -- -- । -- -- -- -- । जो ऽ इ ऽ ।  च्छा

राग दुर्गा

राग दुर्गा बिलावल थाट का राग है, यह एक उत्तरांग प्रधान राग है, इस राग में (ग) और (नी) वर्जित स्वर हैं, तथा सभी स्वर जैसे- सा रे म प ध सां , शुद्ध प्रयोग होता है। राग की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-  राग - दुर्गा                              थाट के स्वर - सभी स्वर शुद्ध थाट - बिलावल                    जाति - औड़व- औड़व ( 5-5 )   वादी - मध्यम ( म )                   वर्जित स्वर - (ग), और (नी)   संवादी - षड्ज ( सा )     पूर्वांग / उत्तरांग - उत्तरांग प्रधान राग    आरोह - सा रे म प ध सां            अवरोह - सां ध प म रे, सा रे, ध सा पकड़ - 1)धऽ म रे, सा रे ध़ सा, रे म प ध, 2)रे रे म रे,ध ध सा   न्यास के स्वर - (रे) , (म) और (ध)         मुख्य अंग - 1)धऽ म रे, सा रे ध़ सा, रे म प ध, 2)रे रे म रे,ध ध सा   गायन समय - रात्रि का दूसरा प्रहर ( निशिथ काल, 9 Pm to 12 am )    प्रकृति - ना अधिक गंभीर, और न ही अधिक चंचल सम प्रकृति राग - जलधर केदार                                  अन्य महत्वपूर्ण बातें        (1) यह उत्तरांग प्रधान राग है अतः यह राग मध्य सप्तक और तार सप्तक में खूब खिलता है।   

राग यमन

राग यमन कल्याण थाट का आश्रय राग है, यह एक पूर्वांग प्रधान राग है, इस राग में (म) तीव्र प्रयोग किया जाता है, तथा बाकी सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किया जाता है। राग की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-  राग - यमन ( आश्रय राग )          थाट - कल्याण             थाट के स्वर - सा रे ग म' प ध नी सां (मध्यम तीव्र(म'), बाकी सभी शुद्ध स्वर) वादी स्वर - गान्धार ( ग )         जाति - सम्पूर्ण सम्पूर्ण ( 7- 7 ) सम्वादी स्वर - निषाद ( नी )           प्रकृति - गंभीर वर्जित स्वर - कोई नहीं       पूर्वांग/उत्तरांग - पूर्वांग प्रधान राग आरोह - सा रे ग म' प ध नी सां ( नी़ रे ग म' ध नी सां ) अवरोह - सां नी ध प म' ग रे सा    समप्रकृति राग - यमन कल्याण पकड़ - ऩी रे ग, ऩी रे म' ग , प रे ग ऩी रे सा न्यास के स्वर - रे, ग, प और ऩी पूर्वांग/उत्तरांग - पूर्वांग प्रधान राग मुख्य अंग - सा, ऩी, रेसा, ऩी रेग, ऩी रेम'ग, प रेग ऩी रेसा, ग म' ध नी सां,  गायन समय - रात्रि का प्रथम प्रहर ( प्रदोष काल, 6 pm to 9 pm )                      ।। अन्य महत्वपूर्ण बातें ।। (1) राग का चलन अधिकतर मन्द्र न

राग कालिंगडा (Raag kalingda)

राग कालिंगड़ा का परिचय राग कालिंगड़ा भैरव थाट का एक राग है, यह चंचल प्रकृति का राग है, इस राग का वादी स्वर (प) और संवादी स्वर (सा) है, इस राग का गायन समय रात्रि का अंतिम प्रहर यानी कि  उषाकाल (3 a.m - 6 am) है। राखी की अन्य विशेषताएं  इस प्रकार हैं। :- राग -  कालिंगड़ा       थाट -  भैरव    थाट के स्वर -   रिषभ (रे), धैवत (ध) कोमल बाकी                                   सभी शुद्ध । जैसे- (सा रे् ग म प ध् नी )        वादी - पंचम  ( प )                         जाति -  सम्पूर्ण (7-7)     संवादी -  षड्ज ( सा )                        प्रकृति -  चंचल           आरोह -  सा रे् ग म प ध् नी सां          अवरोह -   सां नी ध् प म ग रे् सा         गायनन समय -  रात्रि का अंतिम प्रहर (उषा काल, 3 a.m to 6 a.m )  समप्रकृति राग -  भैरव,रामकली       पकड़ -  ध् प, ग म ग, नी़ सा, रे् ग म          न्यास के स्वर -  ग , प , सा              मुख्य अंग -  सा रे् ग म ग, म प ध् पऽ म ग, प ध् प ध् नी सां                               अन्य महत्व