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Showing posts from February, 2021

Shri Radhe Braj Jan man sukh kari lyrics, Radhe Shyam radhe Shyam radhe Shyam radhe Shyam श्री राधे ब्रज जन मन सुखकारी

ॐ कीर्तन- श्री राधे ब्रज जन मन सुखकारी  ।। स्थाई ।।  (राधे श्याम)8 (राधे श्याऽऽम)2 श्री राधे ब्रज जन मन सुखकारी, राधे श्याम श्यामा श्याम श्री राधे ब्रज जन मन सुखकारी, राधे श्याम राऽधे श्याम (राधे श्याम)4 (राधे श्याऽऽम)2 ।।  अन्तरा  ।। मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल, गल वैजयंती माला। चरणन नुपर रसाल, राधे श्याम श्यामा श्याम | 1 | --(राधे श्याम)4 (राधे श्याऽऽम)2 सुन्दर वदन कमल-दल लोचन, बांकी चितवन हारी। मोहन वंशी विहारी, राधे श्याम श्यामा श्याम | 2 | --(राधे श्याम)4 (राधे श्याऽऽम)2 वृन्दावन में धेनु चरावे, गोपीजन मन हारी। श्री गोवेर्धन धारी, राधे श्याम श्यामा श्याम | 3 | --(राधे श्याम)4 (राधे श्याऽऽम)2 राधा कृष्ण मिली अब दोऊ, गौर रूप अवतारी। कीर्तन धर्म प्रचारी, राधे श्याम श्यामा श्याम | 4 | --(राधे श्याम)4 (राधे श्याऽऽम)2 तुम बिन मेरा और ना कोई, नाम रूप अवतारी। चरणन में बलिहारी, राधे श्याम श्यामा श्याम। नारायण बलिहारी, राधे श्याम श्यामा श्याम | 5 | Home 🏠 Sangeet Raag Shashtra    (🎶यहां क्लिक करें ⬇️⬇️ 🎶 Lyrics List भजन🎻 , भोजपुरी भजन , निर्गुण , सत्संग भजन🪕 , प्रार्थना (श्री श्री ठाकुर अ

Raag Kafi (राग काफ़ी)

राग काफ़ी राग काफ़ी एक चंचल प्रकृति का राग है, इसे रात्रि का भैरवी भी कहा जाता है, इस राग का वादी स्वर "प" और सम्वादी स्वर "रे" है। राग काफ़ी की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-  राग काफ़ी राग - काफ़ी (आश्रय राग)            थाट - काफ़ी थाट के स्वर - "ग" और "नी" कोमल, बाकी सभी स्वर शुद्ध वादी - पंचम (प)             संवादी - रिषभ (रे) वर्जित स्वर -             जाति - सम्पूर्ण - सम्पूर्ण (7-7) आरोह - सा रे ग् म प ध नी् सां     अवरोह - सां नी् ध प म ग् रे सा पकड़ - रे ग् म प ग् रे, म ग् रे सा। सा रे ग् म प ग् रे। न्यास के स्वर - सा, रे, और,प मुख्य अंग - ग् रे , म प , म प ध प , ध नि् सां नि् ध प , सा रे म प , ध म प ग् रे । प्रकृति - चंचल (होली, छोटा ख्याल, ठुमरी आदि इस राग में खूब गाया जाता है। पूर्वांग / उत्तरांग - पूर्वांग प्रधान राग गायन समय - मध्य रात्रि  सम प्रकृति राग - राग सिन्दूरा               अन्य महत्वपूर्ण बातें 1) इस राग में विवादी स्वर शुद्ध " ग " और शुद्ध " नी " का प्रयोग करने से राग की सुन्दरता बढ़ जाती है। जैसे-

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Gokul ka kanha machay dhamal holi lyrix गोकुल का कान्हा मचाए धमाल

गोकुल का कान्हा मचाए धमाल होली खेलन आयो मदन गोपाल पिचकारी हाथों में गोगुल गुलाल  होली खेलन आयो मदन गोपाल राधा जी को देख लल्लन मारी पिचकारी फगुआ के रंग रंगी नीलाम्बरी सारी राधा बोली पैया परू छोड़ो नंदलाल होली खेलन आयो मदन गोपाल कैसी होली खेल गयो मदन मोहन प्रेम रंग रंग डाला अबला का मन श्याम के रंग रंगी राधा और ना कुछ जाने एक भी पल श्याम बिना मनवा नहीं माने मोहन मुरारी ने ये कैसा किया हाल होली खेलन आयो मदन गोपाल

Paniya lale lal e gaura hamaro ke chahi Lyrix in hindi पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं

(पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं)2 (पनीया लाले लाल, पनीया होऽऽ)2 पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं (पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं)2 (1) (एअड़ भंगिया तू रही गईल भोला)2 (लाले लाल पानी कह, काहांवा ई होऽला)2 (खरीदे के परिहे गुलाल हो,)2 ए गऊरा हमरों के चांहीं (पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं)2 (2) (हमरा से गऊरा गुलाल कइसे आई)2 (एको नइखे हमरो धोकरीयो में पाई)2 (रचि दिहलू बड़ा काजवाल हो, आहे)2 ए गऊरा हमरों के चांहीं (पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं)2 (3) (सबका के देल बाबा, महल अटारी)2 (अपने रहेला तुहूं बनके भिखारी)2 (धनी- धनी ताहरो कमाल हो, आहे)2 ए गऊरा हमरों के चांहीं (पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं)2 ।। दुगुन ।। (पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं)2 (हम होखल चाह तानी खुबे लाल हो)2 ए गऊरा हमरों के चांहीं (पनीया लाले लाल , ए गऊरा हमरों के चांहीं)2