रस्ते भर रो रो के हमसे पूछा पाँव के छालों ने, बस्ती कितनी दुर बसा ली दिल में बसने वालों ने basti kitni dur basa le Dil mein basne walo ne lyrics raste bhar ro ro ke humse poochha pao ke chhalo ne
ग़ज़ल : रस्ते भर रो रो के हमसे पूछा पाँव के छालों ने
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–—-- ।। स्थाई ।। —----
रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालों ने,
बस्ती कितनी, दुर बसा ली, दिल में बसने वालों ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालों ने,
—----- ।। अंतरा ।। —----
कौन हमारा दर्द पढ़ेगा , इन जख़्मी दीवारों पर,
अपना अपना नाम लिखा है, सारे आने वालों ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
बस्ती कितनी, दुर बसा ली, दिल में बसने वालोँ ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
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दिल का गमों से रिश्ता क्या है, इश्क़ का हासिल आँसू क्यूँ,
हमको कितना ज़हर पिलाया, इन बेदर्द सवालों ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
बस्ती कितनी, दुर बसा ली, दिल में बसने वालोँ ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
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अपनी ग़जलो से गीतो से तुने युं (जग जीत) लिया,
पेश किये हें तुमको दिलो के नज़राने, दिलवालों ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
बस्ती कितनी, दुर बसा ली, दिल में बसने वालोँ ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
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बर्बादी का मेला देखूँ ' क़ैसर ' अपनी आँखों से,
मेरे घर को छोड़ दिया है, बस्ती फूँकने वालों ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
बस्ती कितनी, दुर बसा ली, दिल में बसने वालोँ ने
—रस्ते भर, रो रो के हमसे, पूछा पाँव के छालोँ ने,
- "क़ैसर" उल ज़ाफरी
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