Mangal Geet ए री सखी मंगल गावो री हे री सखी मंगल गावो री a ri sakhi e ri sakhi Heri Sakhi Mangal Gavo Ri, Dharti Ambar Sajao Ri
मंगल गीत : हेरी सखी मंगल गावो री, धरती अम्बर सजाओ री
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साजन आयो हेरी सखी, मैं तोडूं मोतियन दी हार
लोग जाने मैं मोती चुनूं , मैं तो झुक झुक करूं जुहार !
–—-- ।। स्थाई ।। —----
हेरी सखी मंगल गावो री, धरती अम्बर सजाओ री,
आज उतरेगी पी की सवारी,
हेरी कोई काजल लाओ री, मोहे काला टीका लगाओ री,
उनकी छब से दिखूं में तो प्यारी,
लक्ष्मी जी वारो , नजर उतारो,
आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥
चोख पुरावो, माटी रंगावो,
आज मेरे पिया घर आवेंगे
—----- ।। अंतरा 1 ।। —----
रंगो से रंग मिले, नए-नए ढंग खिले,
खुशी आज द्वारे मेरे , डाले है डेरा,
पीहू पीहू पपीहा रटे, कुहू कुहू कोयल जपे,
आँगन-आँगन है , परियो ने घेरा,
अनहद नाद. बजाओ रे सब-मिल,
आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥
चोख पुरावो, माटी रंगावो,
आज मेरे पिया घर आवेंगे
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खबर सुनाऊ जो,
खुशी ये बताऊँ जो,
आज मेरे पिया घर आवेंगे ॥
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