गीत- मन करेला मन के मंदिर बनाईं हो (पवन सिंह)
मन करेला मन के मंदिर बनाईं होऽऽ
तोहार मुरत बसवले रहीं
(तोहरे भगतीऽ में जिनगी बिताई होऽऽ)2
(नेह तोहसे लगवले रही)2
1) (कौनो दिन हो न अईसन, कटे तोहरा बीन
भक्त हमरा के सारा, जमाना कहे)2
नाम सुतत मिली नाम जागत मिली
जे भी देखे उ सिव के, दीवाऽना कहे
("मांगी बाबा से अतने की सगरो नाम हो जाए!)2
हमरो दिल, दिल खाली दिल! ना रहे
बाबा धाम हो जाए)"
कौनो दिन हो न अईसन, कटे तोहरा बीन
भक्त हमरा के सारा, जमाना कहे)
नाम सुतत मिली नाम जागत मिली
जे भी देखे उ सिव के, दीवाऽना कहे
--- जगह भोला के ऽऽ हायऽऽऽ
जगह भोला के चरनीया में पायी होऽऽ
सिस आपन झुकवले रही
--- मन करेला मन के मंदिर बनाईं होऽऽ
मन में मुरत बसवले रहीं
2) पवन पावन हो जाई, प्रभु प्रीत में हम
विनय भक्ति के अईसन, करमवा करी
जेतना दिल ले रही, हमार देहीया में दम
बनके कांवरी-या कांवर में जलवा भरी
(" ना चांदी के थरीया, ना सोना के रोटी!)2
चाहत बा भोला के बनी पुजरिया,
ना चाही हीरा, ना चाही मोती!)
पवन पावन हो जाई, प्रभु प्रीत में हम
विनय भक्ति के अईसन, करमवा करी
जेतना दिल ले रही, हमार देहीया में दम
बनके कांवरी-या कांवर में जलवा भरी
--- भाव भक्ति के होऽऽ
भाव भक्ति के दौलत कमाई होऽऽ
देहीया सिवमय बनवले रही
मन करेला मन के मंदिर बनाईं होऽऽ
तोहार मुरत बसवले रहीं
(तोहरे भगतीऽ में जिनगी बिताई होऽऽ)2
(नेह तोहसे लगवले रही)2
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