ॐ रामायण भजन - जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने जाते हैं और,राक्षस कालनेमी उनका रास्ता रोकता है।
(राम जय जय राम श्री राम जय जय राम)
।। स्थायी ।।
(राम जय जय राम, श्री राम जय जय राम
मैं तो राम ही राम पुकारुं
श्री राम नहीं, मोरी सुध लिन्हीं
मैं तो कबसे राह निहारुं)2
--राम जय जय राम, श्री राम जय जय राम
मैं तो राम ही राम पुकारुं
"बटेहू जाने वाले, श्री राम प्रभु के मतवाले
तु राम नाम रस पिले, तन मन की प्यास बुझाले"
कपी के कानों में पड़ा, राम नाम जय राम
उतरे हनुमत जान कर, राम भक्त का धाम"
(मेघनाद ने शक्ति मारी है, तेरा राम बड़ा दुखारी है
होऽऽ तुझे इक वैद्य ने पठाया है,
तु संजीवनी लेने आया है,)
(किते से आवे, किते को जावे)2
बाबा ने सब बेरा रे___
(जानो है बड़ी दूर बटेहु, करले रैन बसेरा रे)2
__यहीं भगवन की आज्ञा है, तु आज यहीं विराम करे
तु क्यों चिंता करता है, (जो करना है सो राम करे)2
(राम लखन के जीवन में)2, कभी, होगा नहीं अंधेरा रे
--(जानो है बड़ी दूर बटेहु, करले रैन बसेरा रे)2
__तुझे भूख प्यास नहीं लागे, मैं ऐसा मंत्र बता दुंगा
तुझे जिस पर्वत पर जाना, मैं पल भर में पहुंचा दूंगा
(स्नान ध्यान करके तुऽ आजा)2, तोहे बना लूं चेरा रे
--(जानो है बड़ी दूर बटेहु, करले रैन बसेरा रे)2
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