कृष्ण भजन- छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलाइके
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" अपनी छब बनाई के, जो मैं पी के पास गई
जब छब देखी पीहू की, सो मैं अपनी भूल गई "
।। स्थाई ।।
छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलईके,
छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना! नैना!
मोसे नैना! नैना! रे! मोसे नैना मिलईके! नैना मिलईके,
छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना , नैना मिलईके,
नैना मिलईके , नैना मिलईके
--- (छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलईके)
।। स्थाई ।।
ए री सखी मैं तो से कहूं,
मैं जो गई थी पनीया भरन को,
छीन झपट मोरी मटकी पटकी नैना मिलईके,
--- (छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलईके)
।। अंतरा ।। 1 ।।
बलि बलि जाऊँ मैं, तोरे रंग रजवा, तोरे रंग रजवा,
अपने सी रंग लिनी रे, मोसे नैना मिलईके
--- (छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलईके)
।। अंतरा ।। 2 ।।
ए री सखी मैं तो से कहूं,
हरी हरी चूड़ियाँ, गोरी गोरी बईया
बहियां पकड़ हर लिनी रे, मोसे नैना मिलईके
--- (छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलईके)
--- अन्य पंक्तियां ---
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प्रेम भक्ति का, मदवा पिलई के,
मतवारी कर दिनी रे,मोसे नैना मिलईके
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श्याम नाम की, मेहंदी रचई के,
मोहे सुहागन किनी रे,मोसे नैना मिलईके
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बात अधम कह दिनी रे,
मोसे नैना मिलईके।।
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