राम विवाह भजन - देख कर रामजी को जनक नंदिनी लिरिक्स
।। स्थाई ।।
देख कर रामजी को, जनक नंदिनी,
(बाग़ में बस खड़ी की खड़ी रह गई)2
राम देखे सिया को, सिया राम को,
(चारों अखियाँ लड़ी की लड़ी रह गई)2
---(देख कर रामजी को, जनक नंदिनी)2
--------।। अंतरा 1 ।। ----------
सब सख़ी देखकर यूँ कहने लगी,
रच दी है विधाता ने सुन्दर जोड़ी,
पर धनुश कैसे तोड़ेंगे कोमल कुँवर,
मन में शंका बनी की बनी रह गई,
---(देख कर रामजी को, जनक नंदिनी)2
(बाग़ में में बस खड़ी की खड़ी रह गई)2
(राम देखे सिया को, सिया राम को)2
--------।। अंतरा 2 ।। ----------
बोली दूजी सखी ये छोटे ही सही,
पर चमत्कार इनका तू नहीं जानती,
एक भी बाण में ताड़का जी गिरी,
फिर उठी ना पड़ी की पड़ी रह गई,
---(देख कर रामजी को, जनक नंदिनी)2
(बाग़ में में बस खड़ी की खड़ी रह गई)2
(राम देखे सिया को, सिया राम को)2
--------।। अंतरा 3 ।। ----------
जब अयोध्या से जब जनकपुर गए,
छत से सब सखियाँ थीं लगी झाँकने,
काम युगल रूप देख, जनक नंदिनी,
जहाँ खड़ी थी खड़ी की खड़ी रह गई,
---(देख कर रामजी को, जनक नंदिनी)2
(बाग़ में में बस खड़ी की खड़ी रह गई)2
(राम देखे सिया को, सिया राम को)2
--------।। अंतरा 4 ।। ----------
टूटते ही धनुष खलबली मच गई,
झुंझलाने लगे सबका मुख देख कर,
इस सभा में कोई, धनुष हिला ना सका,
सबका अँखियाँ चढ़ी की चढ़ी रह गई,
---(देख कर रामजी को, जनक नंदिनी)2
(बाग़ में में बस खड़ी की खड़ी रह गई)2
(राम देखे सिया को, सिया राम को)2
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