भजन - सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी
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साँवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो ,प्रीत निभाज्यो जी
म्हारी प्रीत निभाज्यो जी।।
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थे छो म्हारा गुण रा सागर, अवगुण म्हारो मति ध्याजो जी,
लोकन धीजै मन न पतीजै, मुखडारा सबद सुणाज्यो जी,
साँवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो ,प्रीत निभाज्यो जी
म्हारी प्रीत निभाज्यो जी।।
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दासी थारी जनम जनम री, म्हारे आंगणा रमता आज्यो जी,
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बेड़ो पार लगाज्यो जी,
साँवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो ,प्रीत निभाज्यो जी
म्हारी प्रीत निभाज्यो जी।।
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साँवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो ,प्रीत निभाज्यो जी
म्हारी प्रीत निभाज्यो जी।।
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