Ek din nadi ke tire jat rahani dhire dhire Nirgun Bishnu ojha एक दिन नदी के तीरे जात रहनी धीरे-धीरे निर्गुण
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गीत- एक दिन नदी के तीरे जात रहनी धीरे-धीरे
गायक- विष्णु ओझा
Album - Sab log Bhulail ba
।। स्थायी ।।
एक दिन नदी के तीरे, जात रहनी धीरे-धीरे
(हम आंखी देखनी, सुन्दर शरीरिया अगीया में जरेला ये राम)3
(एक दिन नदी के तीरे, जात रहनी धीरे-धीरे)2
(हम आंखी देखनी, सुन्दर शरीरिया अगीया में जरेला ये राम)2
।। अंतरा ।।
(1) (बांसवा के लेई बिमाना, घाटे अईले चारी जाना)2
(मुहवा पर अगियाऽऽ)2
अपने जमलका उंहवा धरेला ये राम
(हम आंखी देखनी, सुन्दर शरीरिया अगीया में जरेला ये राम)2
(2) (हित मीत जे जे रहल, एके मुहे सभे कहल)2
(बेटा के जरलेऽऽऽ) 2
बाबूजी के नश्वर तनवा तरेला ये राम
(हम आंखी देखनी, सुन्दर शरीरिया अगीया में जरेला ये राम)2
(3) (भाला बूरा कर्म कमाई, जेहीलागी कईल ये भाई)2
(तब काहे खातिरऽऽ) 2
उंच नीच मानुष , ये देहीया करेला ये राम
(हम आंखी देखनी, सुन्दर शरीरिया अगीया में जरेला ये राम)2
(4) (कुल्ही भईल जेकरा लागी, उहे धरल मुंह पर आगी)2
(इ सोंच के बागीऽऽ) 2
अंखियां से झर-झर लोरवा झरेला हो राम
(हम आंखी देखनी, सुन्दर शरीरिया अगीया में जरेला ये राम)2
एक दिन नदी के तीरे, जात रहनी धीरे-धीरे
(हम आंखी देखनी, सुन्दर शरीरिया अगीया में जरेला ये राम)3
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Excellent singing, I salute you 🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏
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