राग - भूपाली
राग भूपाली एक बहुत ही मधुर राग है, यह कल्याण थाट का राग है, इसमें "म" और "नी" दोनों वर्जित हैं, इस प्रकार इस राग का जाति औड़व औड़व यानी 5- 5 है, राग भूपाली की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :-
राग - भूपाली थाट - कल्याण
थाट के स्वर - ( म' ) तीव्र, बाकी सभी स्वर शुद्ध
वादी - गान्धार (ग) संवादी - धैवत (ध)
वर्जित स्वर - मध्यम और निषाद (म),(नी)
आरोह - सा रे ग प ध सां जाति - औड़व-औड़व (5-5)
अवरोह - सां ध प ग रे सा,ध़ सा
पकड़ - गरे पग,गरे, ध़, ध़ सा
न्यास के स्वर - सा,ग,प
मुख्य अंग - गरे पग,गरे, ध़, ध़ सा
प्रकृति - चंद्र प्रकाश के समान शांत वातावरण पैदा करने वाला
पूर्वांग / उत्तरांग - पूर्वांग प्रधान राग
गायन समय - रात्रि का प्रथम प्रहर (प्रदोष काल ,6 Pm-9Pm)
सम प्रकृति राग - राग देसकार , जैत कल्याण
अन्य महत्वपूर्ण बातें
(1) यह पूर्वांग प्रधान राग है, इसलिए इसका विस्तार अधिकतर मंद्र और मध्य सप्तक में होता है।
नोट- यदि राग का विस्तार उत्तरांग में अधिक किया जाय, तो इससे राग देसकार की झलक पड़ेगी।
(2) इस राग में बड़ा- छोटा ख्याल, तराना और ध्रुपद धमार गाया जाता है।
नोट- राग भूपाली में ठुमरी कभी नहीं गाया जाता।
(5) दक्षिण भारतीय संगीत में इसे "मोहन" राग के नाम से जाना जाता है।
प्रारंभिक आलाप
(1) सा, सा रे ग,ग रे प ग, ग रे, ध़ ध़ सा।
(2) सा, सा रे ग प ग,ग प ध प ग,प ध प ग,
ग रे प ग, ध़ ग, ग रे, ध़ ध़ सा।
(3) सा रे ग प, ग प ध प,ग प ध सां ध प ग,ध प ग रे,
प ग रे, ध़ ध़ सा।
(4) ग प ध सां, ध ध सां, ध सां रें सां, रें गं रें सां, गं रें
सां, ध रे सां ध प ग,ग प ध प ग रे, सा रे ध़ सा।
राग भूपाली की तानें
राग भूपाली और राग देशकार
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