संगीत क्या है ?
संगीत का अर्थ
संगीत शब्द को देखें तो यह दो शब्दों 'सम् ' और ' गीत ' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है, 'अच्छा गीत' यानी कि वही गीत संगीत हो सकता है, जो सुनने में कानो को प्रिय लगे , जो हृदय को आनंदित कर दे। संगीत की उत्पत्ति 'सामवेद' से हुई है।
पांचो ललित कलाओं ( वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला, काव्यकला और संगीत कला ) में संगीत सर्वश्रेष्ठ ललित कला है।
संगीत का नाम सुनते ही हमारे मन में गाने-बजाने वाले प्रसिद्ध गायकों और वादकों के नाम आने लगता है, मन कुछ गुनगुनाने लगता है, और इसी कारण "गाने बजाने और नृत्य" इन तीनों को एक साथ संगीत कहा गया है, 'संगीत वह रस युक्त सुमधुर ध्वनि होती है जो हमारे मन मस्तिष्क को आनंदित कर देता है' ।
संगीत के प्रकार
संगीत के दो प्रकार हैं :-
1) शास्त्रीय संगीत
2) भाव संगीत
1) शास्त्रीय संगीत -
शास्त्रीय संगीत वह संगीत होता है, जिसमें संगीतशात्र के नियमों का पालन करने की बाध्यता होती है, यानी कि इस प्रकार के संगीत में संगीत शात्र के नियमों जैसे- राग के स्वर बदलने नहीं चाहिए, राग का वादी, सम्वादी , जाति , आरोह , अवरोह, न्यास , उत्तरांग , पूर्वांग इत्यादि का पालन कठोरता से किया जाता है। जैसे - राग , ख्याल गायन, ध्रुपद , धमार इत्यादि।
2) भाव संगीत -
भाव संगीत भाव प्रधान संगीत होता है, इसमें संगीत शात्र के नियमों को पालन करने की कोई बंधन नहीं होती है, इस संगीत का मुख्य उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करना होता है, वर्तमान समय में भाव संगीत ही मशहूर है। इसके अन्तर्गत भजन, लोक गीत, फिल्मों के गीत , उत्सवों के गीत इत्यादि।
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