Jo koi Ave sant ri sangat mein satsang amar jhari re lyrics जो कोई आवे संत री संगत में सत्संग अमर झड़ी रे
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सत्संग भजन - सत्संग अमर झड़ी रे
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“राम मिलन के कारणे, जो तू खड़ा उदास
साधु संगत शोध ले राम उन्ही के पास”
—--------–—-- ।। स्थाई ।। —---------------
सत्संग अमर झड़ी रे,
(जो कोई आवे संत री संगत में)2
वाने खबर पड़ी रे संता, सत्संग अमर झड़ी रे
सत्संग अमर झड़ी रे साधो , सत्संग अमर झड़ी रे
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सुग्रीव ने संगत राम जी की किनी, वानर फोज बनी रे साधो भाई
वा फोजा की काई ताक़त, रावण से आन भड़ी रे संता
सत्संग अमर झड़ी रे
सत्संग अमर झड़ी रे साधो , सत्संग अमर झड़ी रे
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नरसी ने संगत पीपाजी की कीड़ी, सुई पे बात अड़ी रे
छप्कपन करोड़ को भरियो रे मायरो, वो आयो आप हरी रे साधो
सत्संग अमर झड़ी रे,
सत्संग अमर झड़ी रे साधो , सत्संग अमर झड़ी रे
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प्रह्लाद ने संगत सरियादे की कीन्ही, नाम पे बात अड़ी रे
ताता खम्भा किया हरिणाकुश, वो नरसिंह रुप धरी रे संता
सत्संग अमर झड़ी रे,
सत्संग अमर झड़ी रे साधो , सत्संग अमर झड़ी रे
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लोहा ने संगत काठ की किन्हीं, समुंदर जहाज तिरी रे
उंडा नीर बता दे साधू, म्हारा सतगुरु पार करी रे साधो
सत्संग अमर झड़ी रे,
सत्संग अमर झड़ी रे संता, सत्संग अमर झड़ी रे
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उच्च नीच का भेद नहीं जाने, चोड़े चौक पड़ी रे
कहत कबीर सुनो भाई साधो ,थारो आवा गमन टरी रे संता
सत्संग अमर झड़ी रे,
सत्संग अमर झड़ी रे संता, सत्संग अमर झड़ी रे
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Original lyrics
“राम मिलन के कराने जो तू खड़ा उदास
साधु संगत शोध ले राम उन्ही के पास”
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सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी
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सुग्रीव ने संगत राम जी की किनी, वानर फोज बनी साधो भाई
उस वानर की कोई है शाम रित, जो रावण से आन लड़ी
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी
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नरसी ने संगत पीपाजी की कीड़ी, सुई पर बात अडी है
56 करोड़ को भरो मायरो, वो आयो आप हरी रे सावरो
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी
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प्रह्लाद ने संगत सरियादेवी की कीड़ी, नाम पर बात अडी है
खम्भ फास हरिणाकश्यप मारियो फिर मिले हरी
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी
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लोहा ने संगत काट की किनी, समुद्र बिच नाव तिरी रे
उंडा नीर बता दे साधू, मारा सतगुरु पार करी रे संतो
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी
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उच्च नीच का भेद नहीं जाने, कहत कबीर सुनो भाई साधु
थारो आवो गमन मिटे रे संतो
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी
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