सत्संग भजन - खींच मारे पिचकारी
रंग प्रेम के डारी
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र)
।। स्थाई ।।
खींच मारे पिचकारी
रंग प्रेम के डारी
होली खेले किशन मुरारी
आया आया रे फागुन का मौसम
देखो रंग बरसे लाल गुलाबी ||
।। अन्तरा ।।
1) (इन्द्रधनुषी सतरंगी
साजों में सज गई वसुन्धरा
दिदिगन्त में कूके कोयल
गीत सुनाए पपिहरा
नवीन आनन्द में जीवन प्राण
आश्रय मोहनकारी ||
2) (मंगल पावन इस अवसर पर
प्रेम सुधा बरसे अविरल
प्रेम की गंगा यमुना बहती
मधुर तान में करे कलकल
एकतन्त्र एकमन्त्र सन्देशा
गाए वंशीधारी ||
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