कृष्ण भजन- कान्हा ओ कान्हा छेड़ दे मुरलिया मन हुआ जाए
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।। स्थाई ।।
कान्हा! ओ कान्हा, छेड़ दे मुरलिया मन हुआ जाए बेचैन
राह तेरी देखूं दिन रेन, मन हुआ जाए बेचैन
---(कान्हा! ओ कान्हा, छेड़ दे मुरलिया मन हुआ जाए बेचैन)
।। अंतरा ।। 1 ।।
पनघट पे नीर भरन जब आयी, तूने ऐसी बंसी बजाई
ओ हाथों से घट छूटा यमुना में, हो गयी रह के खुद से परायी
लत बंसी की तूने ऐसी लगाई, सुने बिन पाऊँ नहीं चैन
---(कान्हा! ओ कान्हा, छेड़ दे मुरलिया मन हुआ जाए बेचैन)
।। अंतरा ।। 2 ।।
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राधा! ओ राधा छेड़ दे पायलिया, तुझे देखे बिना नहीं चैन
राह तेरी देखूं दिन रेैन, तुझे देखे बिना नहीं चैन
---(राधा! ओ राधा छेड़ दे पायलिया, तुझे देखे बिना नहीं चैन)
।। अंतरा ।। 3 ।।
तेरे आवन की चाप को सुन के, मेरी मुरलिया खुद ही बाजे
बंसी पे उँगलियाँ खुद ही नाचे, तान मधुर राधा की साजे
हर पल राधा तेरा दर्शन चाहे, कान्हा के यह व्याकुल नैन
---(राधा! ओ राधा छेड़ दे पायलिया, तुझे देखे बिना नहीं चैन)
।। अंतरा ।। 4 ।।
दर्शन में राधा नैनो में राधा, और नैनो की आस में राधा
हो, तान मुरलिया की छेड़ के कान्हा हर ले राधा की हर बाधा
मेरी मुरलिया तो तुझ को पुकारे, सांझ सवेरे दिन रेैन
---(राधा! ओ राधा छेड़ दे पायलिया, तुझे देखे बिना नहीं चैन)
---(कान्हा! ओ कान्हा, छेड़ दे मुरलिया मन हुआ जाए बेचैन)
छेड़ दे पायलिया! हां, छेड़ दे मुरलिया!
छेड़ दे पायलिया! हां, छेड़ दे मुरलिया!
छेड़ दे पायलिया! हां, छेड़ दे मुरलिया!
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