arati kije hanuman lala ki dusht dalan raghunath kala ki arti lyrics आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
आरती - श्री हनुमान जी की " आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की" --------------------------------- ।। स्थाई ।। आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ ।। अंतरा ।। 1 ।। जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥ ---(आरती कीजै हनुमान लला की)2 ।। अंतरा ।। 2 ।। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥ लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥ ---(आरती कीजै हनुमान लला की)2 ।। अंतरा ।। 3 ।। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥ पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥ बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥ ---(आरती कीजै हनुमान लला की)2 ।। अंतरा ।। 4 ।। सुर नर मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥ कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥ जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥ ---(आरती कीजै हनुमान लला की)4 -------------------------