सरस्वती वन्दना - हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे
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(हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे।
अम्ब विमल मति दे॥)2
।। अंतरा ।। 1 ।।
जग सिरमौर बनाएँ भारत, वह बल विक्रम दे।
अम्ब विमल मति दे।
साहस शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग तपोमय कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे॥१॥
--- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे।
अम्ब विमल मति दे॥
।। अंतरा ।। 2 ।।
लव, कुश, ध्रुव, प्रह्लाद बनें हम, मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा माँ, फिर घर-घर भर दे ॥२॥
--- (हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे।
अम्ब विमल मति दे॥)
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