कण स्वर , खटका तथा मुरकी
कण स्वर ( स्पर्श स्वर)
(यहां कण स्वर को तीन प्रकार से बताया गया है)
० किस स्वर को गाते या बजाते समय, उसके आगे अथवा पीछे के स्वर को तनिक छूने को "कण स्वर" या "स्पर्श स्वर" लेना कहते हैं।
० किसी एक स्वर से उसके पीछे या आगे वाले किसी भी स्वर को द्रुत गति से छूकर पुनः मूल स्वर पर आना "कण स्वर का लगना" कहलाता है।
० मुख्य स्वर को गाते हुए, किसी दूसरे स्वर को छूकर, पुनः मुख्य स्वर पर आना "कण स्वर" कहलाता है।
कण स्वर को लिखने का तरीका
करण स्वर को मुख्य स्वर के ऊपर , कोने में छोटा अक्षर में लिखा जाता है । जैसे -
कण स्वर का प्रयोग कुछ Songs में
1) जादू है, नशाऽऽऽ है, मदहोशियांऽऽऽ है...
( यहां नशाऽऽऽ में " प का कण म पर लगा है)
2) मोहे रंऽऽग दोऽ लाल
(रंऽऽग में म का कण ग पर लगा है)
खटका
4 या 4 से अधिक स्वरों को द्रुतगति से प्रयोग करने को खटका कहते हैं। खटके के 4 स्वरों में दूसरा और चौथा स्वर एक ही होता है । जैसे- सा का खटका (सा) - रे सा नी़ सा
खटके को लिखना
खटका को दिखाने के लिए कोष्ठक ( ) का प्रयोग किया जाता है । जैसे - " (सा) " का अर्थ है, ' सा ' का खटका । यानी (सा) = रे सा नी़ सा
सा का खटका (सा) - रे सा नी़ सा
रे का खटका (रे) - ग रे सा रे
ग का खटका (ग) - म ग रे ग
म का खटका (म) - प म ग म
प का खटका (प) - ध प म प
ध का खटका (ध) - नी ध प ध
नी का खटका (नी) - सा नी ध नी
खटके का रियाज के लिए अलंकार
1) सा रे ग रे , रे ग म ग, ग म प म, म प ध प, प ध नी ध , ध नी सां नी
2) सा रे ग रे - ग रे सा रे , रे ग म ग - म ग रे ग, ग म प म - प म ग म
मुर्की (मुरकी)
3 स्वरों को द्रुतगति से गाने को मुर्गी कहते हैं । जैसे - सा रे सा, रे ग रे। मुर्की 3 स्वरों की छोटी तान होती है।
मुरकी का Songs में प्रयोग
मुरकी का रियाज
आरोह - सा रे सा, रे ग रे, ग म ग, म प म, प ध प,ध नी ध, नी सां नी,सां रें सां।
अवरोह - सां रें सां, नी सां नी, ध नी ध, प ध प, म प म, ग म ग, रे ग रे , सा रे सा।
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