सप्तक (octave) क्या होता है?
सात स्वरों के समूह को जब एक क्रम से गाया था बजाया जाता है, तो उसे सप्तक कहते हैं। जैसे- सा रे ग म प ध नी ।
दूसरे शब्दों में सात स्वरों के क्रमिक समुदाय को सप्तक कहते हैं।
एक सप्तक 'सा' से 'नी' तक का होता है, और 'नी' के बाद जो 'सा' आता है, वहां से दूसरा सप्तक प्रारंभ होता है।
सप्तक तीन प्रकार का होता है-
1) मंद्र सप्तक (the lowest octave)
2) मध्य सप्तक (the middle octave)
3) तार सप्तक (the upper octave)
1) मंद्र सप्तक (the lowest octave) -
साधारण आवाज से दुगनी नीचे, आवाज में गाया या बजाय जाने वाला सप्तक मंद्र सप्तक कहलाता है। भातखंडे स्वरलिपि पद्धति के अनुसार मंद्र सप्तक के स्वरों के नीचे बिंदु लगाते लगाते हैं । जैसे-सा़ रे़ ग़ म़ प़ ध़ नी़ ।
2) मध्य सप्तक (the middle octave) -
जिस सप्तक के स्वरों की आवाज साधारण बोलचाल (न ज्यादा उंंचा ना ज्यादा नीचा) की आवाज जैसे होती है। मध्य सप्तक कहलाता है।
मध्य सप्तक की पहचान के लिए किसी भी प्रकार के चिन्ह का प्रयोग नहीं किया जाता है। जैसे- सा रे ग म प ध नी ।
3) तार सप्तक (the upper octave)
मध्य सप्तक से दुगनी, तथा मंद्र सप्तक से चौगुनी, आवाज में गाया अथवा बजाया जाने वाला सप्तक तार सप्तक कहलाता है। स्वरों की पहचान के लिए तार सप्तक के स्वरों के ऊपर बिंदु का प्रयोग करते हैं। जैसे - सां रें गं मं पं धं नीं।
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