ग़ज़ल - ऐ सनम तुझ से मैं जब दूर चला जाऊंगा
।। स्थाई ।।
(ऐ सनम तुझ से मैं जब दूर चला जाऊंगा - 2
याद रखना के तुझे याद बहुत आऊँगा ) - 2
ऐ सनम तुझ से मैं जब दूर चला जाऊंगा
--------।। अंतरा 1 ।। ----------
ये मिलन और ये हसी रात ना जाने कब हो
आज के बाद मुलाकात ना जाने कब हो
अब तेरे शहर मुसाफ़िर की तरह आऊँगा
ऐ सनम तुझ से मैं जब दूर...….
--------।। अंतरा 2 ।। ----------
चाँद के अक्स में सूरज की हसीं किरन में
झील के आईने में बहते हुए झरनो में
इन नज़ारों मैं तुझे मैं ही नजर आऊँगा
ऐ सनम तुझ से मैं जब दूर...….
--------।। अंतरा 3 ।। ----------
याद जब आएगी वो पहली मुलाक़ात तुझे
और मुहब्बत के फ़साने की हर इक बात तुझे
तेरे ख्वाबों में खयालों में चला आऊँगा
ऐ सनम तुझ से मैं जब दूर...….
--------।। अंतरा 4 ।। ----------
तुझ को इस गीत का हर शेर करेगा बेकल
मेरी याद आएगी जब भी तुझे ऐ जान-ए-ग़ज़ल
नगमा बन बन के खयालात पे छा जाऊंगा
ऐ सनम तुझ से मैं जब दूर...….
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