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BHARAT SALAAM Bharat tujhe Salam Lyrics in भारत सलाम भारत तुझे सलाम

 


देश भक्ति गीत - भारत सलाम भारत तुझे सलाम

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आसमान में कितने परिंदे, या मुसाफिर या हैं शहर के

ढूंढते हैं सब अपना मकाम, 

पर कोई परिंदा ऐसा, पत्थरों में हीरे जैसा, 

भर गया अलग ही वो उड़ान

उड़ा तेरी खातिर वो, रुका नहीं आखिर वो

चाहे जो भी हो उसका अंजाम

भारत सलाम! भारत सलाम! भारत सलाम! 

भारत तुझे सलाम! हो भारत तुझे सलाम!

ओऽऽऽ  होऽऽ होऽऽ

वो उड़ा अंधेरों में, पर रुका नही

बह गया लहू उसका, वो झुका नही

टूटा बस बदन उसका, हौसला नही

मुसाफिर के तूफान में, बना जो किनारा वो

दे गया मोहब्बत का पैगाम

भारत सलाम! भारत सलाम! भारत सलाम! 

भारत तुझे सलाम! हो भारत तुझे सलाम!

सरफ़रोश, ये रोष, ये जोश, ना होश

सरफ़रोश, ये रोष, ये जोश, ना होश

घना मौत का साया, जो तेरी तरफ आया

कर गया वो उसको अपने नाम

भारत सलाम! भारत सलाम! भारत सलाम! 

भारत तुझे सलाम! हो भारत तुझे सलाम!

ओऽऽऽ  होऽऽ होऽऽ

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aasamaan mein kitane parinde

ya musaaphir ya hain shahar ke

dhoondhate hain sab apana makaam

par koee parinda aisa

pattharon mein heere jaisa

bhar gaya alag hee vo udaan

uda teree khaatir vo

ruka nahin aakhir vo

chaahe jo bhee ho usaka anjaam

bhaarat salaam

bhaarat salaam

bhaarat salaam

bhaarat tujhe salaam

ho bhaarat tujhe salaam

o ho ho..

vo uda andheron mein par ruka nahee

bah gaya lahoo usaka vo jhuka nahee

toota bas badan usaka hausala nahee

musaaphir ke toophaan mein

bana jo kinaara vo

de gaya mohabbat ka paigaam

bhaarat salaam

bhaarat salaam

bhaarat salaam

bhaarat tujhe salaam

ho bhaarat tujhe salaam

sarafarosh, ye rosh, ye josh, na hosh

sarafarosh, ye rosh, ye josh, na hosh

ghana maut ka saaya

jo teree taraph aaya

kar gaya vo usako apane naam

bhaarat salaam

bhaarat salaam

bhaarat salaam

bhaarat tujhe salaam

ho bhaarat tujhe salaam

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bar bar karu binati radhaswami aage lyrics Evening Prayer 1 बार बार करूँ विनती। राधास्वामी आगे

(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र)  सान्ध्यकालीन विनति बार बार करूँ विनती। राधास्वामी आगे॥ दया करो दाता मेरे। चित चरणन लागे ॥१॥ जन्म जन्म रही भूल में। नहिं पाया भेदा ॥ काल करम के जाल में। रहि भोगत खेदा ॥ २ ॥ जगत जीव भरमत फिरें। नित चारों खानी॥ ज्ञानी जोगी पिल रहे। सब मन की घानी ॥ ३ ॥ भाग जगा मेरा आदिका। मिले सतगुरु आई। राधास्वामी धाम का। मोहि भेद जनाई ॥ ४ ॥ ऊँच से ऊँचा देश है। वह अधर ठिकानी ।। बिना संत पावे नहीं। श्रुत शब्द निशानी ॥ ५ ॥ राधास्वामी नाम की। मोहिं महिमा सुनाई ॥ विरह अनुराग जगाय के। घर पहुँचूँ भाई ॥ ६ ॥ साध संग कर सार रस। मैंने पिया अघाई ॥  प्रेम लगा गुरु चरण में। मन शांति न आई ॥ ७ ॥ तड़प उठे बेकल रहूँ। कस पिया घर जाई ॥ दर्शन रस नित नित लंहूँ। गहे मन थिरताई ॥ ८ ॥ सुरत चढ़े आकाश में। करे शब्द बिलासा ॥ धाम धाम निरखत चले। पावे निज घर वासा ॥९॥ यह आशा मेरे मन बसे । रहे चित्त उदासा ॥ विनय सुनो किरपा करो। दीजे चरण निवासा ॥१०॥ तुम बिन कोई समरथ नहीं । जासे माँगू दाना ॥ प्रेमधार बरखा करो। खोलो अमृत खाना ॥ ११ ॥ दीन दयाल दया करो। मेरे समरथ स्वामी॥ शुकर करूँ गावत रहुँ। नित राधास्वामी ॥ १२