देशभक्ति - हमे भारत केहतें हैं, हमे भारत केहतें हैं
---------------------------------
मेहमान तो रब के जैसा है, वो चले तो सांस बिछाते है
है लहू में रंग कुर्बानी का, जां देकर जान बचाते है
अपना पराया हम ना देखें, कभी भी अपना गम ना देखें
दुसरो के दर्द मे खडे रहते हैं
(हमे भारत केहतें हैं, हमे भारत केहतें हैं)4
ओऽ ओऽ ओऽ ओऽ
---------------------------------
(कोई रोये तो आँसू चुराके, आँखों में हंसी भर देते हैं)2
मुस्किल में रहके दूसरों का, आसान सफ़र कर देतें हैं
ये मिट्टी कुछ ऐसी है, जख्मो पे मरहम जैसी है
इंसानियात की हवाओ में, हम बेहतें हैं
--- (हमे भारत केहतें हैं, हमे भारत केहतें हैं)2
---------------------------------
तिलक जो माथे पे लगाया, इस मिट्टी का तो रंग बसंती छाए
तुमने जो मांगा, दिल सिने से निकाल के
जान देने चले आये
तिलक जो माथे पे लगाया, इस मिट्टी का तो रंग बसंती छाए
तुमने जो मांगा, दिल सिने से निकाल के
जान देने चले आये
हमे भारत केहतें हैं, हमे भारत केहतें हैं
हमे भारत केहतें हैं, हमे भारत केहतें हैं
हमे भारत केहतें हैं, हमे भारत केहतें हैं
हमे भारत केहतें हैं, हमे भारत केहतें हैं
Comments
Post a Comment