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भजन - धर्मविधि स्थापक जग अभिभावक
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र)
धर्मविधि स्थापक जग अभिभावक
विशासित जीवन करे
प्रेमास्पद नारायण गुरु पुरुषोत्तम
हृदय में प्रेम भरे ।
लोकपाली ईश्वर मूर्त्त प्रतीक
परमदयाल रघुनाथ ॥
।। अन्तरा ।।
त्रिभुवन नायक जीवन विधायक
परमेश नर रूप धरे
स्निग्ध सुशोभित भुवन विभूषित
चितवन पुलकित करे ।
दयाल चरण में
श्रेयश्रद्धामुखरप्राण कृतिबुद्धइष्टटान
आदर्श की नन्दना करो
प्रेष्ठसेवादीप्तजीवन उच्छलितधृतिदीपन
प्राणेश की वन्दना करो ||
भजनमूर्त पावक वेत्ता पुरुष चालक
शोकताप वेदना हरे
परमानन्द माधव दुःखकष्ट लाघव
प्रेमसुधा करुणा झड़े ।
दयाल चरण में
इष्टप्राण भावभक्ति निष्ठाराग अनुगति
वृत्तिभेदी चलन में चलो
धृतिच-पूरयमाण धारणपालनअधिष्ठान
जीवन को अर्पण करो ॥
असत के सायक शुभद विनायक
स्वस्ति विधान करे
आपूरक उत्तम दयाल नरोत्तम
अस्तिवृद्धि रक्षा करे ।
दयाल चरण में ----
दयालगुरु चरण में प्रीतिप्लावन करण में
प्रेम भक्ति नियोजित करो
शिष्टसुधी आचरण शब्दनाम सुमिरण
जीवन विवर्द्धित करो ||
।। जय गुरु ।।
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