भजन- श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
भजन- श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
गायक- लखबीर सिंह लक्खा
।। डायलॉग ।। "
श्री रामचंद्र जी महाराज के भरे दरबार में,
विभीषण ने ताना मारा,
हे बजरंगी क्या तेरे मन में भी राम है?
हनुमान जी ने श्री राम का नाम लिया और सीना पड़ा,
और बोले ले देख!
जय श्रीराम! जय श्रीराम! जय श्रीराम!
।। मुखड़ा ।।
नहीं चलाओ बांध व्यंग के, ऐ विभिषण ताना ना सह पाऊंगा, क्यों तोड़ी है, यह माला तू ए लंकापति, मैं बताऊंगा
।। स्थाई ।।
(श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में)2 Chorus 2
( देख लो मेरे दिल के नगीने में)2 Chorus 2
--(श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में)2 Chorus 2
।। अन्तरा ।।
1) ऐ विभिषण!
(मुझको कीर्ति ना, वैभव ना यस चाहिए
राम के नाम का मुझको रस चाहिए)2
सुख मिले ऽऽऽ
(सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में)2
--(श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में)2 Chorus 2
2) हे!
(राम रसिया हूं मैं राम सुमिरन करूं
सियाराम का सदा ही मैं चिंतन करुं)2
हो सच्चा आनंद हैऽऽऽ
( हो सच्चा आनंद है ऐसे जीने में)2
--(श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में)2 Chorus 2
3) (फाड़ सीना है सबको यह दिखला दिया
भक्ति में शक्ति है बेधड़क दिखला दिया)2
कोई मस्ती नाऽऽऽ
(कोई मस्ती ना सागर मीने में)2
--(श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में)2 Chorus 2
(देख लो मेरे दिल के नगीने में)2
--(श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में)2 Chorus 2
।।। जय श्री राम ।।।
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