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भजन- तुम बिन कौन प्रभु पार लगाए
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र भजन)
।। स्थायी ।।
(तुम बिन कौन प्रभु पार लगाए)2
(बीच भँवर में डोले नैया)2
पनघट का कौन राह दिखाए ॥
(तुम बिन कौन प्रभु पार लगाए)2
।। अन्तरा ।।
1) (पानी गहरा दुर्गम सागर
माँझी मूरख स्वामी दया कर)2
तारनहारी तेरे बिन अब
(भवसिन्धु में कौन सहाए)2
(बीच भँवर में डोले नैया)2
पनघट का कौन राह दिखाए ॥
(तुम बिन कौन प्रभु पार लगाए)2
2) (शक्ति न भाए ज्ञान न आए
रोम रोम प्रभु तुझको बुलाए)2
जीवन स्वामी तेरे बिन अब
(काल मरण से कौन बचाए )2
(बीच भँवर में डोले नैया)2
पनघट का कौन राह दिखाए ॥
(तुम बिन कौन प्रभु पार लगाए)2
3) (दीन दयालु मंगलकारी
तुझ बिन कोई न रक्षाकारी)2
प्राण तेरे ही चरणों में अब
(तू ही जीवन पथ दरशाए )2
(बीच भँवर में डोले नैया)2
पनघट का कौन राह दिखाए ॥
(तुम बिन कौन प्रभु पार लगाए)3
।। जय गुरु ।।
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