भजन- इस इस तन का क्या भरोसा
भजन- इस इस तन का क्या भरोसा
रुक जाए कब कहां पर
।। स्थायी ।।
(इस तन का क्या भरोसा
रुक जाए कब कहां पर
-- सांसो का क्या भरोसा
रुक जाए कब कहां पर)2
इस तन का क्या भरोसा
।। अन्तरा ।।
1) (सतगुरु चरण कमल में,
मस्तक जरा झुकाऽऽ ले)2
(अभिमान तेरा तुझको)2
ठोकर ना दे यहां परऽऽ
--- सांसो का क्या भरोसा
रुक जाए कब कहां पर
इस तन का क्या भरोसा---
2) (अपने ही सब यहां पर,
मत हंस कभी किसी पर)2
(चुकले गुणों के मोती)2
बिखरे यहां वहां पर
--- सांसो का क्या भरोसा
रुक जाए कब कहां पर
इस तन का क्या भरोसा---
3) (जीवन दिया प्रभु ने,
धोखे में इसको खोता)2
(संभलो अभी भी संभालो)2
खोए हो तुम कहां पर
--- सांसो का क्या भरोसा
रुक जाए कब कहां पर
इस तन का क्या भरोसा---
4) (सतगुरु तुम्हें बुलाता
आ जाओ योगपथ पर)२
(प्रभु धाम का खजाना)2
मिलता है रे यहां पर
--- सांसो का क्या भरोसा
रुक जाए कब कहां पर
इस तन का क्या भरोसा---
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