🌿🌿🎶 और सभी lyrics , राग , संगीत , इत्यादि के बारे में देखने के लिए list पर Click करें।
सत्संग भजन- ओ मोरी अँखिया तोसे
विनति करत हौं
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी)
।। स्थायी ।।
(ओ मोरी अँखिया तोसे
विनति करत हौं)2
(हो अब तो,)
ठाकुर से कर ले मिलनवा रे!
मिलनवा रे! अंखियां
।। अन्तरा ।।
1) (भेद न जाने मुरतिया भावे)2
(थर थर जियरा करेजवा में जागे)2
(जिया मोरा लागे ना
मन मोरा माने ना)2
कब होईहें पिया दरशनवा हों!
दरशनवा हों! अंखियां
हमरे ,ठाकुर से कर ले मिलनवा रे!
मिलनवा रे! अंखियां
2) (संग चलत जग सब दिन रतिया)2
(कालकरम के छोड़के बतिया)2
(लै के सद्गुरु
नाम मन्तरवा)2
जीवन के लागे वरधनवा रे!
वरधनवा रे! अंखियां
हमरे ,ठाकुर से कर ले मिलनवा रे!
मिलनवा रे! अंखियां
3) (घड़ी घड़ी तड़पे नयन मोरा बरसे)
(प्रियतम आज चरणवा को तरसे)2
(लागी छूटे ना
डोर अब टूटे ना)2
अब छाए ठाकुर लगनवा हों!
लगनवा हों! अंखियां,
हमरे ,ठाकुर से कर ले मिलनवा रे!
मिलनवा रे! अंखियां
-----पुनः----
(ओ मोरी अँखिया तोसे
विनति करत हौं)2
(हो अब तो,)
ठाकुर से कर ले मिलनवा रे!
मिलनवा रे! अंखियां
------👇-----
🌿🌿🎶 और सभी lyrics , राग , संगीत , इत्यादि के बारे में देखने के लिए list पर Click करें।
Comments
Post a Comment