भजन- जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम जगन्नाथ हरि विष्णु महेश्वर(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चन्द्र)
।। स्थायी ।।
( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2 जगन्नाथ हरि विष्णु महेश्वर
शाश्वत ठाकुर नाम चिरन्तन
--( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2
।। अन्तरा ।।
1) (परम कारुणिक शान्तिदाता, आदित्य प्रभा मंगलकर्ता)2
जगतसत्ता चेतनदीपी, प्रेमन् सम्पद् परम विवर्त्तन
--( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2
(जगन्नाथ हरि विष्णु महेश्वर)2 शाश्वत ठाकुर नाम चिरन्तन
--( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2
2) (अनन्त उच्छल जीवन दीपना, योग विभूति परम वर्तना)2
(भागवत पुरुष कलुषत्राता)2 (आदर्श प्रेष्ठ प्राण स्पन्दन)2
--( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2
(जगन्नाथ हरि विष्णु महेश्वर)2 शाश्वत ठाकुर नाम चिरन्तन
--( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2
3) (चिर' अभिनन्दित वैशिष्ट्यपाली,निर्मल उज्ज्वल अंशुमाली )2
(आदि कारण पूरण पुरुष)2 (मुक्ति विधायक धाम श्रीचरण)2
--( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2
(जगन्नाथ हरि विष्णु महेश्वर)2 शाश्वत ठाकुर नाम चिरन्तन
--( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)2
( जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम)3
--------- English --------
।। sthaayee ।।
(jayatu paramadayaal purushottam)2 jagannaath hari vishnu maheshvar
vichaar thaakur naam chirantan
--( jayatu paramadayaal purushottam) 2
।। antara ।।
1) (param kaarunik shaantidaata, aadity prabhaamandalakar)2
jagat satta chetanadeepee, preman sampaadit param vivartan
--( jayatu paramadayaal purushottam) 2
(jagannaath hari vishnu maheshvar)2 thaakur naam chirantan
--( jayatu paramadayaal purushottam) 2
2) (anant uchchhal jeevan deepana, yog vibhooti param vartana)2
(bhaagavat purush kalushatrata)2 (aadarsh preshth praan spandan)2
--( jayatu paramadayaal purushottam) 2
(jagannaath hari vishnu maheshvar)2 thaakur naam chirantan
--( jayatu paramadayaal purushottam) 2
3) (chirnandit vaishishtyapaalee, nirmal abhivay anshumaalee )2
(aadi pooran purush)2 (mukti sadasy dhaam shreecharan)2
--( jayatu paramadayaal purushottam) 2
(jagannaath hari vishnu maheshvar)2 thaakur naam chirantan
--( jayatu paramadayaal purushottam) 2
(jayatu paramadayaal purushottam)3
जयतु परमदयाल पुरुषोत्तम,
जगन्नाथ हरि विष्णु महेश्वर
शाश्वत ठाकुर नाम चिरन्तन ।।
परम कारुणिक शान्तिदाता
आदित्यप्रभा मङ्गलकर्ता,
जगत-सत्ता चेतनदीपी
प्रेमन् सम्पद् परम विवर्त्तन ।।
अनन्त-उच्छल जीवन-दीपना
योग-विभूति परम-वर्तना,
भागवत-पुरुष कलुषत्राता
आदर्श प्रेष्ठ प्राण-स्पन्दन ।।
चिर-अभिनन्दित वैशिष्ट्यपाली
निर्मल उज्ज्वल अंशुमाली,
आदि-कारण पूरण-पुरुष
मुक्ति-विधायक धाम श्रीचरण ।।
--------------जय गुरु---------------
अर्थ, मान, यश इत्यादि पाने की आशा में मुझे ठाकुर
बनाकर भक्त मत बनो, सावधान होओ-ठगे जाओगे;
तुम्हारा ठाकुरत्व न जागने पर कोई तुम्हारा केन्द्र भी नहीं,
ठाकुर भी नहीं- धोखा देकर धोखे में पड़ोगे।
-- श्रीश्रीठाकुर
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