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गीत - हमके साड़ी चाही (पूर्वी , भोजपुरी)
कलाकार- भरत शर्मा व्यास
आ ऽऽऽऽऽ आऽऽऽ
Dialogue
" एगो बिरहन बाडी, जेकर
पति परदेश में, पत्नी घर पर
जाड़ा के महीना बा, का दशा बा? "
-------- मुखड़ा --------
कर फेरत करवटीया करके
कंगना खनके खन शोर करे
साड़ी सरकत, फरकत अंखियां
कहीया अईंहे पिया मोर घरे।1।
(मन लागत नईखे एको छन )2
तन आग विरह से मोर जरे
मोर रतिया बितल जगली जागल
पागल मनवा नाही धीर धरे
Dialogue
" एक जनिया अपनी पती के चिट्ठी लिखत बाड़ी,
जे रउवा जब अईब तब, अईसही छुछे हाथ मत चली आईब,
कुछ हमरा के लेले आईब "
।। स्थायी ।।
अरे चोरी करीह, पपीऊ रे चाहे
अरे चोरी करीह, पपीऊ चाहे, खींचीह ठेला गाड़ी
हमके साड़ी रे चाहीं…
(कबले फींचीऽ गवना के छाड़ी,
हमके साड़ी रे चाहीं…)2
-- चोरी करीह पपीऊ रे चाहे
(चोरी करीह पपीऊ) 3
चोरी करीह पपीऊ चाहे, खींचीह ठेला गाड़ी
हमके साड़ी रे चाहीं…
कबले फींचीऽ गवना के छाड़ी,
हमके साड़ी रे चाहीं…
1) संग के सहेली हमार, जिया तरसावेली
(संग के सहेली हमार, ह)
---संग के सहेली हमार, जिया तरसावेली
--- किसीम किसीम के साड़ी (लहंगा झमकावेली) 2
--- अबे गठियालअ , ए बलम जी
ऽ अबे गठियालअ बिहने , होऽ अ होऽ
ऽ अबे गठियालअ बिहने, धई लिह गाड़ी
…हमके साड़ी रे चाहीं…
(कबले फींचीऽ गवना के छाड़ी,
हमके साड़ी रे चाहीं…
--------------------
धई लिह गाड़ी
अबे गठियालअ बिहने , धई लिह गाड़ी
हमके साड़ी रे चाहीं…
(कबले फींचीऽ गवना के छाड़ी,
हमके साड़ी रे चाहीं…
2) याद कर कई बरिस, भईल मोर गावनाअ
(याद कर कई-कई)2
--- नईहरे के साया साड़ी, (ओढना बिछवना)2
Dialogue
" लिखतारी की मन पारा, कई बरिस भईल हमनी के,
ईहे बतावा सांच सांच, जे आज ले का हम ताहर सूख जननी
,,, साया साड़ी बेलाऊज नईहरे के
,,, खाटी माची नईहरे के, पलंग नईहरे के
,,, तोषक तकिया नईहरे के
एगो लुगरियो नईखी जानत ताहर आज ले "
--- भारी कंजूस, रे बाड़ी (बाड़ी)3
---( अरे भारी कंजूस रे बाड़ी)2
--- भारी कंजूस हमार , सास मिलल बाड़ी,
हमके साड़ी रे चाहीं…
(कबले फींचीऽ गवना के छाड़ी,
हमके साड़ी रे चाहीं…
..End..
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Copy nahi ho raha hai
ReplyDeleteBahut khubsurat
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