देशभक्ति गीत- तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां
" तलवारों पे सर वार दिए, अंगारों में जिस्म जलाया है
तब जाके कहीं हमने सर पे, ये केसरी रंग सजाया है "
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ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं, जो तेरे लिए सौ दर्द सहे
मेहफूज रहे तेरी आन सदा,चाहे जान मेरी ये रहे ना रहे
ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी, मेरी नस-नस में तेरा इश्क बहे
फीका ना पड़े कभी रंग तेरा,जिस्मों से निकल के खून कहे
--- तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
--- तेरी नदियों में बेह जावां, तेरे खेतों में लेहरावां
इतनी सी है दिल की आरजू
ओऽऽ ओऽऽ ओऽऽ ओऽऽ
सरसों से भरे खलिहान मेरे, जहाँ झूम के भंगड़ा पा न सका
आबाद रहे वो गाँव मेरा, जहाँ लौट के बापस जा न सका
ओ वतना वे, मेरे वतना वे, तेरा मेरा प्यार निराला था
कुर्बान हुआ तेरी अस्मत पे, मैं कितना नसीबों वाला था
--- तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
--- तेरी नदियों में बेह जावां, तेरे खेतों में लेहरावां
इतनी सी है दिल की आरजू
केसरीऽऽऽ
हो हीर मेरी तू हंसती रहे, तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो
मैं मरता था जिस मुखड़े पे, कभी उसका उजाला कम ना हो
ओ माई मेरी क्या फिकर तुझे, क्यूँ आँख से दरिया बेहता है
तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं, और चाँद हमेशा रहता है
--- तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
--- तेरी नदियों में बेह जावां, तेरे खेतों में लेहरावां
इतनी सी है दिल की आरजू
केसरीऽऽऽ
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