निर्गुण - एक त मो बारी भोरी,आ दूसरे पियावा गइलन रे चोरी गायक - मदन राय
।। मुखड़ा ।। दोहा ।।
एक त मो बारी भोरी,आ दूसरे पियावा गइलन रे चोरी
" की नागन बैठी राह में, बिरहन पहुंची आय
नागन डर गई आप के, कि बिरहन डंस न जाय।
नाहर के नख में बसे, दन्ते बसे भुजंग
की बिच्छी के पोछी बसे, बिरहन के सब अंग।।"
।। स्थाई ।।
एक त मो बारी भोरी,आ दूसरे पियावा गइलन रे चोरी
(आरे सखियां रेेऽऽऽ
तीसरे बिरह से देहिया मातल ए राम)2
एक त मो बारी भोरी, दूसरे पिया के रे चोरी
(आरे सखियां रेेऽऽऽ
तीसरे बिरह से देहिया मातल ए राम)2
।। अन्तरा ।।
1) (फूल लोरहे गईली बाड़ी साड़ी मोरी अटकल डारी)
(फूल लोरहे गईली बाड़ी)3
(फूल लोरहे गईली बाड़ी साड़ी मोरी अटकल डारी)
(आरे सखियां रे!
पिया बिना सड़िया केहु न छोड़ावे ला ए राम)2
-- एक त मो बारी भोरी, दूसरे पिया के रे चोरी
(आरे सखियां रेेऽऽऽ
तीसरे बिरह से देहिया मातल ए राम)2
2) (झुलत झूलत बाड़ी चढ़ी गइली महल अटारी)2
(आरे सखिया रे
जहांवा रे जोगिया धुनिया रमावेला ए राम)2
-- एक त मो बारी भोरी, दूसरे पिया के रे चोरी
(आरे सखियां रेेऽऽऽ
तीसरे बिरह से देहिया मातल ए राम)2
3) (साड़ी मोरी फाटी रे गाईली अंगिया मसकी रे गईली)2
(आरे सखियां रे!
नयना टपकी के नवरंग भिजेला ए राम)2
-- एक त मो बारी भोरी, दूसरे पिया के रे चोरी
(आरे सखियां रेेऽऽऽ
तीसरे बिरह से देहिया मातल ए राम)2
4) (जवना रे मंदिरवा मे अति सुख पवनी हम)2
(आरे सखियां रे!
ओही रे मंदीरवा अगिया लागली ए राम)2
-- एक त मो बारी भोरी, दूसरे पिया के रे चोरी
(आरे सखियां रेेऽऽऽ
तीसरे बिरह से देहिया मातल ए राम)3
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