राग कामोद
राग कामोद एक बहुत ही मधुर राग है, इसकी उत्पत्ति कल्याण थाट से हुई है। राग कामोद में दोनों मध्यम (म) का प्रयोग किया जाता है। राग कामोद के अन्य जानकारियां इस प्रकार है:-
राग - कामोद
थाट - कल्याण
थाट के स्वर - सा रे ग म' प ध नी (म तीव्र, और बाकी स्वर शुद्ध)
जाति - सम्पूर्ण- सम्पूर्ण (वक्र- सम्पूर्ण)
वादी स्वर- पंचम (प), सम्वादी स्वर- रिषभ (रे)
विवादी स्वर - कभी- कभी अवरोह में कोमल निषाद (नी)
वर्जित स्वर- ×
आरोह- सा, रे प , म' प , नी ध सां
आवरोह- सां नी ध प, म' प ध प, ग म प ग म रे सा
पकड़- रे प, म'प ध प, ग म प ग म रे सा
गायन प्रहर - रात्रि का प्रथम प्रहर (प्रदोष 6-9pm)
न्यास के स्वर- सा,रे और प
विशेष स्वर संगतियां -
मिलता-जुलता राग- केदार तथा हमीर
राग कामोद की अन्य विशेषताएं
1) तीव्र मध्यम (म') का प्रयोग केवल आरोह में, पंचम के साथ किया जाता है, और शुद्ध मध्यम (म) का प्रयोग आरोह तथा अवरोह दोनों में किया जाता है।
2) इस राग में "रे प" की संगति बार-बार दिखाई जाती है, "रे प" की संगति दिखाते समय रे पर म का कण लगाकर प पर जाते हैं ।जैसे -
आलाप और तानें
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