har koi hai yahan bas nithur niyati ke hathon ka khilauna full lyrics हर कोई है यहां बस निठूर नियति के हाथों का खिलौना
ful bhajan-l 11:15 to 24:30
ful bhajan-l 11:15 to 24:30
रामायण भजन- हर कोई है यहां बस निठूर नियति के हाथों का खिलौना
।। दोहा ।।
दमकी डरावे दामिनी , आवे झंझावात
ओट नहीं आश्रय नहीं सिर पर है बरसात
नहीं मिथिला नहीं अवधपुर, नहीं अपनों का संग
जीवन तेरे चित्र के, बिखर गए सब रंग
।। स्थाई ।।
(हर कोई है यहां बस निठूर नियति के हाथों का खिलौना)2
कोई ना जाने जीवन के किस मोड़ पे कब क्या होना
(हर कोई है यहां बस निठूर नियति के हाथों का खिलौना)
मन यादो का झूला झूले, बिता कल एकपल ना भूलें
……………
(from 18:21)
।। दोहा ।।
"राजमहल में बचपन बीता, ब्याही राजमहल में
जीवन ऐसा खेलते कोई मेल न आज और कल में
कौन कहेगा देख इसे ये, वही सीता सुकुमारी
टुटी-टुटी सबसे छूटी बेबस एक बेचारी"
(वैदेही की दीन दशा को)2
देख के आए रोना!
(हर कोई है यहां बस निठूर नियति के हाथों का खिलौना)2
वैदेही संग बीते कल की, अनगिन सुधियां हैं पल पल की
देख सिया को विचलित होना,
(चांद को तकना,तनिक न सोना)2
(21:25)
गृह मे वन मे जानकी संग देखे जीवन के वीविध रंग
जो वैदेही मोर भरोसे ताकि रक्षा भई ना मोसे
हर पल सोचे हृदय वीयोगी जाने वो किस हाल मे होगी
केवल वन वन ही भटकाया कोई सुख ना उसे दे पाया
(नही पाने के दुख से अधिक है)2
दुस्सह पाकर खोनाऽऽ
(हर कोई है यहा बस नीठुर नियती के हाथो का खिलौना
कोई न जाने जीवन के किस मोड़ पे कब क्या होना)3
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