भजन निर्गुण - कौन ठगवा नगरिया लूटल होरचयिता - कबीर दास
।। स्थाई ।।
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो
-- (कौन ठगवा नगरिया लूटल हो)3
कौन ठगवाऽऽऽ
।। अन्तरा ।।
1) (चन्दन काठ के बनल खटोला)2
ता पर दुलहिन! दुलहिन सूतल हो,
-- (कौन ठगवा नगरिया लूटल हो)3
कौन ठगवाऽऽऽ
2) (उठो सखी री मांग संवारो)2
दूल्हा मोसे! मोसे! रूठल हो,
-- (कौन ठगवा नगरिया लूटल हो)3
कौन ठगवाऽऽऽ
3) (आये जमराजा पलंग चढ़ी बैठा)2
नैनन अंसुआ! अंसुआ! छूटल हो,
-- (कौन ठगवा नगरिया लूटल हो)3
कौन ठगवाऽऽऽ
4) (चार जने मिल खाट उठायीन)2
चहुँ दिस धउं! धउं! उठल हो,
-- (कौन ठगवा नगरिया लूटल हो)3
कौन ठगवाऽऽऽ
5) (कहत कबीरा सुनो भाई साधो)2
जग से नाता! नाता! छूटल हो,
-- (कौन ठगवा नगरिया लूटल हो)5
कौन ठगवाऽऽऽ
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