Hey Ram Avadh ke Raja tujhe kaun si duvidha ghere lyrics he ram Avadh ke raja tujhe koun si duvidha ghere हे राम अवध के राजा, तुझे कौन सी दुविधा घेरे
रामायण भजन- हे राम अवध के राजा, तुझे कौन सी दुविधा घेरे
।। स्थाई ।।
हे राम अवध के राजा, तुझे कौन सी दुविधा घेरे
जन जन के भाग्य विधाता, क्या भाग्य में लिखा तेरे
।। अन्तरा ।।
1) (क्या पुछ रहे हैं तुझसे,इन महलों के सन्नाटे)
वो कौन सा दुख तू जिसको, सीता से भी ना बांटे
2) (मर्यादाओं की बेड़ी, वचनों के भीषण ताले)
पुरुखों के सम्मुख तुने, स्वमेव स्वयं पर डाले
3) (रघुकुल के संचित यश का,अब तु ही उत्तरदाई)
उस राह तुझे ही चलना, पुरुखों ने जो राह बनाई
4) (जो तुझको समझ न पाए, सचमुच वे लोग अभागे)
तु रख दे अपनी पीड़ा, अपने आराज के आगे
5) (शिव जी की तरह तुझको भी, जीवन विष पीना होगा)
इन विषम परिस्थितियों से, लड़ लड़ कर जीना होगा
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