भजन- हम सांस ले रहे है, इस जान की बदौलत
।। स्थाई ।।
हम सांस ले रहे है, इस जान की बदौलत
(और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत)2
--हम सांस ले रहे है, इस जान की बदौलत
(और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत)2
।। अन्तरा ।।
1) (कुछ पुण्य हो रहा है जो सूरज निकल रहा है)2
(धरती थमी है सदियों से, इंसान की बदौलत)2
--हम सांस ले रहे है, इस जान की बदौलत
(और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत)2
2) (पंडित के घर में जन्मा, खुद भी था बहुत ज्ञानी)2
(रावण का नाश हो गया, अभिमान के बदौलत)2
--हम सांस ले रहे है, इस जान की बदौलत
(और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत)2
3) (हमें गर्व हो रहा है विज्ञान की बदौलत)2
(विज्ञान का वजूद है भगवान की बदौलत)2
--हम सांस ले रहे है, इस जान की बदौलत
(और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत)2
4) (इस सर जमीं पे ईश्वर खेले हैं सदा आकर)2
(संसार जी रहा है, हिन्दूस्तान के बदौलत)2
--हम सांस ले रहे है, इस जान की बदौलत
(और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत)2
अन्य लिरिक्स
(मेरे लिए अतिथि भगवान के बराबर,
सर करते है न्यौछावर मेहमान के बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं
लब पे हंसी नहीं तो जीना भी है क्या जीना,
पहचान है जहाँ में मुस्कान की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैैं
श्री राम नाम जप के लंका से जीत आए,
हनुमान सिद्धि पा गए हरि नाम की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं
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