सत्संग भजन- आए हैं आए हैं असीम अनन्त
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी)
।। स्थायी ।।
आए हैं आए हैं असीम अनन्त
परमदयाल ठाकुर आए हैं ।
दयाल मेरे मालिक रखवार
प्रभु का है अनन्त विस्तार
अहंभाव रखा तो
समझ नहीं पाओगे
प्रेमी बन आए तो
भगवन को पाओगे ||
नाथ का कोई आदि न अन्त
साष्टा सबके सृष्टि अनुपम
माया के पर्दे को
तोड़ प्रभु पहचानो
चरणों में जीवन दो
सद्गुरु को अपनाओ ।
पुरुषोत्तम गुरु अन्तरयामी
आनन्दरूप जग के स्वामी
युगत्राता शरणन में
शोकताप मिट जाए
परमपुरुष चरणन में
सफल मानवजीवन पाए ।
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