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निर्गुण- फूर्र देनी उड़ जाई पोसल चिरईया
गायक- भरत शर्मा व्यास
।। स्थायी ।।
आऽऽऽ हा ऽऽऽ
" खेत ह शरीर, आत्मा गौरईया"
(फूर्र देनी उड़ जाई पोसल चिरईया)2
(खेत ह शरीर, आत्मा गौरईया)2
(फूर्र देनी उड़ जाई पोसल चिरईया)2
।। अन्तरा ।।
1) (केहू न जाने पारी कबले बसेरा )2
(मन करी तहीये बदल दिही डेरा)
---दोहा कबीर दास---
" दस एक पिंजरा ता में पंछी मौन
रहे को अचरज है गए अचंभा कौन"
(केहू न जाने पारी कबले बसेरा )
(मन करी तहीये बदल दिही डेरा)
(देखी ना पक्का ह, कि फूस के मड़ईया)2
---(फूर्र देनी उड़ जाई पोसल चिरईया)2---
2) (उड़े के बेरा ना तन को मोहाई
खोजी न कहां बाड़े बाबू अ माई)2
(पल में विसार दी)2 भाई भौजाई
(पल में विसार दी भाई भौजाईया)
---(फूर्र देनी उड़ जाई पोसल चिरईया)2---
3) (चिरई के घर ह अजबपूर नगरी
जहां मन करेला बिहार करी सगरी)2
(सातों समंदर के)2 भरत पवरईया
(सातों समंदर के भरत पवरईया)
अरे!
---(फूर्र देनी उड़ जाई पोसल चिरईया)2---
-----पुनः----
(खेत ह शरीर, आत्मा गौरईया)2
(फूर्र देनी उड़ जाई पोसल चिरईया)4
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