राग - राग मियां मल्हार
थाट - काफ़ी (ग और नी कोमल, और सभी शुद्ध स्वर)
थाट के स्वर - सा रे ग म प ध नी
वादी - षड्ज (सा)
संवादी - पंचम (प)
जाति - सम्पूर्ण- षाडव (7-5)
वर्जित स्वर -
प्रकृति -
पूर्वांग / उत्तरांग - यह पूर्वांग प्रधान राग है।
आरोह - सा म रे प , नी ध नी सां
अवरोह - सां नी ध नी म प ग म रे सा
गायन समय - मध्य रात्रि (परन्तु वर्षा ऋतु में कभी भी गाया बजाया जा सकता है।)
पकड़ - रे म रे सा नी म प , नी ध नी सा , रे प ग म रे सा
न्यास के स्वर -
मुख्य अंग -
मिलता- जुलता राग - राग बहार
अन्य महत्वपूर्ण बाते -
1) यह राग कान्हड़ा और मल्हार दोनों रागों का समावेश है।
2) इस राग में गंधार कोमल और दोनों निषाद का प्रयोग किया जाता है।
3) यह पूर्वांग प्रधान राग है अतः मध्य सप्तक के पूर्वांग और मंद्र सप्तक में बहुत खिलता है।
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