सत्संग भजन- भजो रे मन त्रास तारण,
श्री गुरु चरण
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी)
।। स्थायी ।।
(भजो रे मन त्रास तारण,
श्री गुरु चरण )2
(छोड़ो रे कुमति , करो रे भक्ति
परम पुण्य श्री गुरु चरण )2
।। अन्तरा ।।
1) (मृत्यु जरा के सब ही अधीन,
माया मोह में जीवन क्षीण)2
(चिर चेतन प्रभु विभव नवीन)2
देते शान्ति स्वस्ति अनुक्षण
---(छोड़ो रे कुमति , करो रे भक्ति
परम पुण्य श्री गुरु चरण )
(भजो रे मन त्रास तारण,
श्री गुरु चरण)
2) (सर्व दुःख नाशी प्रभु अविनाशी,
पारे वही जो दृढ़ विश्वासी )2
(प्रभु अन्तर हे तिमिर विनाशी,
देते प्रभु हे अमृत जीवन )2
---(छोड़ो रे कुमति , करो रे भक्ति
परम पुण्य श्री गुरु चरण )
(भजो रे मन त्रास तारण,
श्री गुरु चरण)
3) (जपो सदा तुम महा सतनाम,
निशिदिन अविरत नित्य अविराम )2
(सद्गुरू नामि प्रभु का नाम,
दान करे जो भक्ति निष्ठा मन )2
---(छोड़ो रे कुमति , करो रे भक्ति
परम पुण्य श्री गुरु चरण )
(भजो रे मन त्रास तारण,
श्री गुरु चरण)
4) (पुरुषोत्तम प्रभु त्रिलोक पालक,
नाथ नारायण विधि विधायक )2
(दीन दयाला कृपानिधि पावक,
कर सदा तुम उनको ही वंदन)2
---(छोड़ो रे कुमति , करो रे भक्ति
परम पुण्य श्री गुरु चरण )
(भजो रे मन त्रास तारण,
श्री गुरु चरण)
-----पुनः--------
(भजो रे मन त्रास तारण,
श्री गुरु चरण )2
(छोड़ो रे कुमति , करो रे भक्ति
परम पुण्य श्री गुरु चरण )2
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