कण स्वर (स्पर्श स्वर)
(यहां मैं कण स्वर को तीन प्रकार से बता रहा हूं)
० किस स्वर को गाते या बजाते समय, उसके आगे अथवा पीछे के स्वर को तनिक छूने को "कण स्वर" या "स्पर्श स्वर" लेना कहते हैं।
० किसी एक स्वर से उसके पीछे या आगे वाले किसी भी स्वर को द्रुत गति से छूकर पुनः मूल स्वर पर आना "कण स्वर का लगना" कहलाता है।
० मुख्य स्वर को गाते हुए, किसी दूसरे स्वर को छूकर, पुनः मुख्य स्वर पर आना "कण स्वर" कहलाता है।
कण स्वर को लिखने का तरीका
करण स्वर को मुख्य स्वर के ऊपर , कोने में छोटा अक्षर में लिखा जाता है । जैसे -
कण स्वर का प्रयोग कुछ Songs में
1) जादू है, नशाऽऽऽ है, मदहोशियांऽऽऽ है...
( यहां नशाऽऽऽ में " प का कण म पर लगा है)
2) मोहे रंऽऽग दोऽ लाल
(रंऽऽग में म का कण ग पर लगा है)
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