udasi man kahe na prem kare lyrics satsang bhajan lyrics उदासी मन काहे ना प्रेम करे प्रेम के राजा प्रेम लुटाने
सत्संग भजन - उदासी मन काहे ना प्रेम करे
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी)
।। मुखड़ा ।।
प्रेम के राजा! राऽऽऽ जाऽ आऽऽ
प्रेम के राजा, प्रेम लुटाने
आए हैं, प्रेम में सबको रँगाने
तु काहे ना प्रेम करे
।। स्थायी ।।
(उदासी मन , काहे ना प्रेम करे )2
(प्रेम के राजा, प्रेम लुटाने)2
(आए प्रेम में, सबको रँगाने)2
(मन कलिश में, परम प्रेम से)2
तु काहे ना प्रेम भरे
तु काहे ना प्रेम करे
---उदासी मन , काहे ना प्रेम करे
।। अन्तरा ।।
1) (प्रेम भक्ति है, प्रेम है पूजा
शक्ति प्रेम जस, कोई न दूजा)2
(तन मन धन सब पार करके)2
बस काहे ना प्रेम चढ़े
---तु काहे ना प्रेम करे
उदासी मन , काहे ना प्रेम करे
2) (जिन प्रेम बिल्व को सूर बनाया
प्रेम ने प्रेमी का राह दिखाया) 2
(अमर प्रेम के, प्रेमी बनकर)2
अब काहे ना प्रेम तरे
अब काहे ना प्रेम तरे
---उदासी मन , काहे ना प्रेम करे
3) (प्रेमे प्रेम बिन , जीवन सूना
परमदयाल है, प्रेम ठिकाना)2
(प्रियतम प्रेम का, वृक्ष लगाए)2
तब काहे ना प्रेम झड़े
---तु काहे ना प्रेम करे
(उदासी मन , काहे ना प्रेम करे)2
-----पुनः----
(प्रेम के राजा, प्रेम लुटाने)2
(आए प्रेम में, सबको रँगाने)2
(मन कलिश में, परम प्रेम से)2
तु काहे ना प्रेम भरे
तु काहे ना प्रेम करे
(उदासी मन , काहे ना प्रेम करे)4
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