सत्संग भजन- कहलाते मेरे ठाकुर
जगन्नाथ स्वामी
(श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी)
।। स्थायी ।।
कहलाते मेरे ठाकुर
जगन्नाथ स्वामी
आदि कारण प्रभु
परमपिता अन्तरयामी ।।
।। अन्तरा ।।
1) प्रेम सुधा बरसे अविरल
प्रभु सबके जीवन सम्बल
धन्य धन्य सकल चराचर
मन मन्दिर में करुणाकर
जगतपिता परम नामी ||
2) सुधबुध नित प्रेम मगन
चमके धरती का कणकण
विधि विधान आश्रयदाता
नरोत्तम अक्षय भगवन
जगतपिता परम नामी ॥
3) वसुधा हर्षित मंगलमय
पुरुषोत्तम हैं महिमामय
उल्लासित पूर्ण हृदय में
गूंजे ठाकुर की जय जय
जगतपिता परम नामी ॥
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