ग़ज़ल- आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले
।। स्थाई ।।
(आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले)2
कल तेरा शहर मुझे छोड़ के जाना होगा!
--(आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले)
।। अंतरा ।।
1) (ये तेरा शेहर तेरा गाव मुबारक हो तुझे
और जुल्फों की हसि छाँव मुबारक हो तुझे)
मेरी किस्मत में तेरे जलवों की बरसात नहीं
तू अगर मुझसे खफा हैं तो,
कोई बात नहीं
एक दिन तुझको भी मेरे लिए रोना होग
(रात की नींद भी और चैन भी खोना होगा)2
याद में मेरीऽऽ!
याद में मेरी, तुझे अश्क बहाना होगा
--कल तेरा शहर मुझे छोड़ के जाना होगा!
--(आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले)
2) (अब तेरे दिल में वो चाहत वो मोहब्बत न रही
तु वही हैं मगर आँखों में मुरुवत न रही
अपने वादों की हसीं रात भुला दी तूने
और मेरे प्यार की हर बात भुला दी तूने
बेवफाई का तेरी तुझसे गिला कैसे करूँ
(तेरी यादो को मैं इस दिल से जुदा कैसे करूँ)2
तेरे हर ग़म कोऽऽ!
तेरे हर ग़म को, तबस्सुम में छुपना होगा
--कल तेरा शहर मुझे छोड़ के जाना होगा!
--(आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले)
3) (मैंने सोचा था कि अब साथ न छूटेगा कभी
मेरे मेहबूब तेरा हाथ न छूटेगा कभी)
लेकिन अफ़सोस के तू डर गया नाकामी से
अपनी रुस्वाई से और प्यार की बदनामी से
तुझ सा नादाँन कोई सारे ज़माने में नहीं
(प्यार का मोती तेरे दिल की ख़ज़ाने में नहीं)2
तुझ को इस बातऽऽ!
तुझ को इस बात, का एहसास दिलाना होगा
--कल तेरा शहर मुझे छोड़ के जाना होगा!
--(आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले)
-------पुनः------
आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले
--कल तेरा शहर मुझे छोड़ के जाना होगा!
--(आज की रात जरा प्यार से बाते कर ले)
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