गीत - एक चिरैया घोंसले को छोड़ उड़-उड़ जाएगायक - अर्जित सिंह
।। स्थाई ।।
(एक चिरैया घोंसले को छोड़ उड़-उड़ जाए
और ये सोचे काश ,ऐसा हो कदम मुड़ जाए)2
तिनका तिनका कर बटोरा, और बनाया घर
पर समय की बारिशों ने कर दिया बेघर
कर दिया बेघर! कर दिया बेघर!
।। अंतरा ।।
1) (ओ मुसाफिर धीर धर आएगा सूरज इधर
काहे भागे! काहे भागे!)
दूर जितना जाएगा, लौट फिर ना पायेगा
काहे भागे! काहे भागे!)
एक चर्राया को पराया, देस कैसे भाये
गाँव का पीपल पुराना, याद उसको आये
--(तिनका तिनका कर बटोरा, और बनाया घर
पर समय की बारिशों ने कर दिया बेघर
कर दिया बेघर! कर दिया बेघर!)
2) (यह जो असुअन की लड़ी, बह रही है हर घडी
तेरे आगे तेरे आगे)
याद रख हर मोड़ पर, एक नयी सुबह खड़ी
काहे भागे! काहे भागे!)
इक चिरैया आंसुओं से, लड़ झगड़ सो जाए
राह पथरीली है, लेकिन हौसला न जाए
--(तिनका तिनका कर बटोरा, और बनाया घर
पर समय की बारिशों ने कर दिया बेघर
कर दिया बेघर! कर दिया बेघर!)
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