सत्संग भजन- सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
।। स्थाई ।।
सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
(मिटेगा सकल ज्वाला हर दूख हर वाला
बरसेगा सुधा अविराम)
--(सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी)
।। अंतरा ।।
1) (नर नारी मिल, मंगल गावो, चौक पुराओ अंगना)2
आज आई है लगन सदन सगर
करो प्रभु की अराधना
(सोहन सुरत! मनोहर मुरत!)2
दर्शन कर मन होगा पुलकित, अह!
सोहन सुरत! दर्शन कर मन होगा पुलकित, अह!
अरे होऽऽऽ
अति अदभुत लीला सदगुरु समरथ की
श्रवन मधुर सुख धाम
आज! (मिटेगा सकल ज्वाला हर दूख हर वाला
बरसेगा सुधा अविराम)2
--(सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी)2
2) (जाग जगाने की आई है बेला,
घड़ी ये शुभ बीत जाए ना)2
(आज जीव उद्धारण प्रभु नारायण
की ये धरा अवतारणा)
(बंदो चरण! करो सुमिरन सब)2
तम हर बन आए जाग जीवन आए
बंदो चरण!
अरे होऽऽऽ
पुरुषोत्तम गुणगान से मुखरित
करनी बने सुर धाम
-------पुनः------
सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
(मिटेगा सकल ज्वाला हर दूख हर वाला
बरसेगा सुधा अविराम)
--(सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी
सुनो सुनो रे नगरवासी, अनादि ओ अविनाशी)
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