tum anant tum hi asim ho lyrics guru mere sisya hain hum shish jhuka de तुम ही असीम हो, गुरु मेरे शिष्य हैं हम, शीष झुका दें चरण में हम
सत्संग भजन- तुम अनंत, तुम ही असीम हो, गुरु मेरे शिष्य हैं हम, शीष झुका दें चरण में हम
।। स्थाई ।।
तुम अनंत, तुम ही असीम हो, ज्ञान दाता मेरे
तुम अनंत, तुम ही असीम हो, ज्ञान दाता मेरे
(करते प्रकाशित इस महफिल को)2
अपने ही सुरो से!
--(तुम अनंत, तुम ही असीम हो, ज्ञान दाता मेरे
तुम अनंत, तुम ही असीम हो, ज्ञान दाता मेरे)
।। अंतरा ।।
1) (जैसे गगन में है ये सूरज,
उसी तरह तुम हो हम सब में)2
(शास्वत हो तुम हो चिरस्थाई)2
(तुम आए तो आए पुरवाई)2
(गुरु मेरे शिष्य हैं हम, शीष झुका दें चरण में हम)2
2) (सुरो के सागर हो सुरसाधक
राग सुरों के हो शुभ सूचक)2
(नाद रसों के हो तुम दाता)2
तुमको लेकर भक्त निराता
(गुरु मेरे शिष्य हैं हम, शीष झुका दें चरण में हम)3
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