निर्गुण- ई देह माटी के ह, माटीए में मिल जाई
।। मुखड़ा ।।
माया में मन अझुरा गईल, हरी पे कहां ध्यान बा!
जवन देह आगी में जरी जाई, ओ पर अतना गुमान बा!!
।। स्थाई ।।
(ई देह माटी के ह, माटीए में मिल जाई)2
फोटो परिवार तोहर घर में कतहु लटकाई
हाऽऽ आऽऽ
--(ई देह माटी के ह, माटीए में मिल जाई)2
---------- dialog --------
सुने के! के केकरा के याद रखले बा!
के केकरा के आबाद रखले बा!
जिंदगी जब ले बा, दुनिया में सभे आपन बा!
प्यार के मौत के बाद रख ले बा!
।। अंतरा ।।
1) ( देह बचपन से जवानी में, फेर बुढारी में,
माया के चोला पहीर लिह ल तू खुमारी में)2
ना समझ ब, त केहू कइसे तोहके समझाई
--हाऽऽ आऽऽ
--(ई देह माटी के ह, माटीए में मिल जाई)2
2) (पाप के ताप से तन तोहर झुलस जाई हो,
संपत्ति तोहर, तोहरा बाद ना रह पाइ हो)2
लोग मुवला के बाद नाम लेके गरीयाई
--हाऽऽ आऽऽ
--(ई देह माटी के ह, माटीए में मिल जाई)2
---------- dialog --------
" सुने के! आदमी रूप मिलल,
जानवर के काम हो गईल,
माया के फेर में देह बेलगाम हो गईल,
हरी से मन हटल ,हिंसा के राह तन भटकल
तू इ मत समझ कि, तोहार नाम हो गईल"
3) (पाप के फल जमीन पर ही भोग के जईब,
कहे मनोज विनय फेरु कुछ ना कर पईब)2
जवानी जब ले बा, ई जिंदगी लहरिया खाई
--हाऽऽ आऽऽ
--(ई देह माटी के ह, माटीए में मिल जाई)
-------पुनः------
फोटो परिवार तोहर घर में कतहु लटकाई
हाऽऽ आऽऽ
--(ई देह माटी के ह, माटीए में मिल जाई)2
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